पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा शुरू की गई दिल्ली में गरीबों के लिए एक भूमि वितरण योजना में घोटाले की खबर सामने आई है। यह बात सीलिंग पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में कही है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह रिपोर्ट 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई थी। जिसमें बताया गया है कि अनियमितताओं के चलते और दिल्ली राजस्व विभाग सहित संबंधित अधिकारियों की ओर से कार्रवाई की कमी के चलते राज्य में लगभग 22,076 जमीनों पर परिणाम बेनतीजा रहा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में समाज के निचले तबके के लिए आवासीय उद्देश्यों को देखते हुए सरकार की प्रशंसनीय योजना को बिना किसी अधिकार के व्यावसायिक हब में बदल दिया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा है कि संबंधित अधिकारियों ने इसे स्पष्ट रूप से घोटाला बताया है। यह रिपोर्ट राजधानी में 1,797 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र के ठोस कदम की पृष्ठभूमि के खिलाफ है।
बता दें कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 1975 में शुरू किए गए 20-बिंदु कार्यक्रम के तहत आवंटित किए गए थे। 1981-85 के बीच 12,500 और 1985 के बीच 9,576 -1989 आवासीय प्रयोजनों के लिए भूखंडों को दो बैचों में आवंटित किया गया था।
अभी तक मालिकों को उनका मालिकाना हक नहीं मिला। शीला दीक्षित और आप दोनों सरकारों ने इस योजना के तहत जिन लोगों को जमीन आवंटित की हैं उन्हें मालिकाना हक देने का वादा किया था। लेकिन कोर्ट को निगरानी समिति की रिपोर्ट के को देखते हुए इसकी उम्मीद धूमिल लगती है।