मॉस्कोः एससीओ बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ा नसीहत दी। सिंह ने कहा कि पाक में आतंक बेलगाम है। उन्होंने कहा कि कोई देश आतंकवाद को समर्थन न करे। मास्को में एससीओ की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एससीओ क्षेत्रीय आतंक रोधी ढांचे के कार्यों को महत्व देता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पारंपरिक और गैर पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से निपटने के लिए हमें संस्थागत क्षमता की आवश्यकता है। भारत आतंकवाद के सभी प्रारूपों और इसका समर्थन करने वालों की स्पष्ट तौर पर निंदा करता है। अतिवादी दुष्प्रचार और कट्टरवाद से मुकाबले के लिए एससीओ द्वारा आतंक रोधी तंत्र को अंगीकृत किया जाना एक महत्वपूर्ण फैसला है।
अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति अभी भी चिंताजनक है
राजनाथ सिंह ने कहा ने कहा कि शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित एससीओ क्षेत्र के लिए विश्वास का माहौल, गैर आक्रामकता और एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है। एससीओ क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति सम्मान, सहयोग और मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति अभी भी चिंताजनक है।
अपने संबोधन में बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद की सभी रूपों और इसके समर्थकों की निंदा करता है। इस बैठक में भारत और रूस के अलावा चीन के रक्षा मंत्री भी भाग ले रहे हैं। भारत और चीन के बीच लद्दाख में ताजा झड़प की खबरों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की इस अहम बैठक में शामिल होना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रमुख पहलुओं में शामिल
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वास का माहौल, गैर-आक्रामकता, एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता तथा मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रमुख पहलुओं में शामिल हैं।
रक्षा मंत्री के ये बयान भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण सीमा विवाद के बीच आये हैं। दोनों ही देश आठ सदस्यीय क्षेत्रीय समूह का हिस्सा हैं जो मुख्य रूप से सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देता है। सिंह ने अपने संबोधन में द्वितीय विश्व युद्ध का भी उल्लेख किया और कहा कि उसकी स्मृतियां दुनिया को सबक देती हैं कि एक देश की दूसरे देश पर ‘आक्रमण की अज्ञानता’ सभी के लिए विनाश लाती हैं। उन्होंने ये बयान चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेइ फेंगहे की मौजूदगी में दिये।
सिंह ने कहा, ‘‘एससीओ के सदस्य देशों, जहां दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है, के शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र के लिए विश्वास और सहयोग, गैर-आक्रामकता, अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों के लिए सम्मान, एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता तथा मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण दुनिया को आधार प्रदान करता है जहां अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाता है एवं देश दूसरे देशों पर एकपक्षीय तरीके से आक्रमण करने से बचते हैं।’’
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद और उग्रवाद के खतरों की भी बात की और इन चुनौतियों से निपटने के लिए संस्थागत क्षमता विकसित करने की वकालत की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज दोहराता हूं कि भारत वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्ध है जो खुला, पारदर्शी, समावेशी, नियम आधारित तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में काम करने वाला होगा।’’
राजनाथ ने रूसी सशस्त्र बलों के मुख्य कैथेड्रल का दौरा किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से पहले शुक्रवार को रूसी सशस्त्र बलों के मॉस्को स्थित मुख्य ‘कैथेड्रल’ और संग्रहालय परिसर का दौरा किया। सिंह यहां एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने पहुंचे हैं। उन्होंने अपने दौरे के तीसरे दिन की शुरुआत अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ ‘कैथेड्रल’ का दौरा करने के साथ की।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सुबह रूसी संघ के सशस्त्र बलों के मॉस्को स्थित मुख्य कैथेड्रल और संग्रहालय परिसर का दौरा किया।’’ मंत्रालय ने टि्वटर पर दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिनमें राजनाथ रूसी और भारतीय अधिकारियों के साथ ‘कैथेड्रल’ के अंदर दिखाई देते हैं। रूसी संघ के सशस्त्र बलों का यह मुख्य गिरजाघर इस साल 20 जून को ही खुला था। यह सेना को समर्पित ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों का एक विशाल चर्च है।
सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा था कि रूसी समकक्ष जनरल सर्गेई शोइगू के साथ उनकी ‘‘शानदार बैठक’’ हुई। इस दौरान उन्होंने भारत की रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए रूस की मदद की सराहना की। रक्षा मंत्री ने इस दौरान रूस द्वारा भारत को कई अस्त्र प्रणालियों, गोला-बारूद और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति की प्रक्रिया तेज किए जाने पर जोर दिया, जिनके लिए शुरू में करार हो चुके हैं। दोनों देशों ने एके-47 203 राइफलों के भारत में विनिर्माण के लिए एक बड़े सौदे को भी अंतिम रूप दिया।