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वैज्ञानिकों ने गनिया घास से बनाया सैनेटाइजर

By भाषा | Updated: December 3, 2020 13:30 IST

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(दीप्ति सक्सेना)

देहरादून, तीन दिसंबर उत्तराखंड में वैज्ञानिकों ने गनिया घास से निकले तेल का इस्तेमाल कर हैंड सैनिटाइजर बनाया है जिसके विभिन्न किस्म के कीटाणुओं के खिलाफ प्रभावी होने का दावा किया गया है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हैंड सैनिटाइजर हर्बल है जिसमें इस्तेमाल किया जाने वाला एल्कोहॉल भी गन्ने के शीरे से तैयार किया जा रहा है । उन्होंने दावा किया है कि सैनिटाइजर में कीटाणुओं को मारने की क्षमता बाजार में मौजूद बडी—बडी कंपनियों के सैनिटाइजरों के मुकाबले कहीं अधिक है ।

उन्होंने साथ ही बताया कि बहुत ही जल्द इसे बाजार में उतारा जाएगा जिसके लिए उद्योगों से बातचीत चल रही है ।

यह सैनिटाइजर देहरादून की सेलाकृई फार्मासिटी में स्थित उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित संगंध पौध केंद्र (कैप) में गनिया घास के संगंध तेल से तैयार किया गया है जिसकी कीटाणु रोधी प्रकृति है ।

कैप के प्रमुख डा नृपेंद्र चौहान ने बताया कि उत्तराखंड में बहुतायत से जंगली तौर पर उगने वाली गनिया घास पर किए गये विभिन्न प्रयोगों में इसे सैनिटाइजर बनाने के लिए बहुत बढ़िया पाया गया ।

चौहान ने दावा किया है कि गनिया घास के बने संगंध तेल की कीटाणु रोधी प्रकृति के कारण उसका उपयोग मानव त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है ।

उन्होंने बताया कि यह हाथों की त्वचा पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के बैक्टीरिया और फंगस तथा उनसे होने वाले खुजली को समाप्त कर देता है ।

एक सर्वेंक्षण में पाया गया कि उत्तराखंड में 2.6 लाख हेक्टेअर क्षेत्र गनिया घास से आच्छादित है और अगर केवल 10 प्रतिशत क्षेत्र में उत्पादित घास का ही इस्तेमाल किया जाए तो कुल 104 कुंतल संगंध तेल निकाला जा सकता है ।

चौहान ने कहा कि गनिया घास पर शोध टिहरी जिले के धनोल्टी क्षेत्र के जबरखेत गांव में शुरू किया गया था । गनिया घास पर हुए तीन वर्षों के गहन अध्ययन व शोध के उपरांत यह सैनिटाइजर बनाया गया ।

उन्होंने बताया कि पारंपरिक रूप से भी स्थानीय लोग गनिया घास का औषधीय उपयोग सूजन, खांसी, सर्दी, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आदि के लिए करते रहे हैं ।

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि कोविड 19 से बचाव के लिए हाथों की नियमित स्वच्छता आवश्यक है और इसके लिए साधारण साबुन, हैंड वॉश और हैंड सैनिटाइजर तीनों विकल्पों में से गनिया घास के तेल का उपयोग किया जा सकता है ।

मई में 'गनिया हर्बल हेंड सैनिटाइजर' नाम से इसका वृहद उत्पादन शुरू किया गया और पहले 1000 लीटर सैनिटाइजर का निर्माण किया गया । इसमें आधा लीटर की 2000 बोतलें व 60 मिलीलीटर की 650 बोतलें तैयार की गयीं और लॉकडाउन के दौरान इनका निशुल्क वितरण किया गया ।

उन्होंने बताया कि कैप ने गनिया सैनिटाइजर के लिए कोटद्वार के एक उद्यमी को नॉन—एक्सलूसिव लाइसेंस दे दिया है जो शीघ्र ही इसका उत्पादन कर उसे बाजार में उतारेगा । चौहान ने बताया कि कई अन्य उद्यमियों से भी लाइसेंस के लिए बातचीत चल रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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