नयी दिल्ली, 24 मई भोपाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) के अनुसंधानकर्ताओं ने मिजोरम और पड़ोसी देश म्यांमा के कुछ क्षेत्रों में अफ्रीकन वायलेट परिवार से जुड़े पौधे की नयी प्रजाति की खोज की है।
टीम के अनुसार, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैवविविधता का अभी तक पूरी तरह अध्ययन नहीं किया गया है और पौधों की ऐसी तमाम प्रजातियां हैं, जिनकी अभी तक खोज नहीं हुई है।
इस नयी प्रजाति के पौधे की खोज के बारे में प्रतिष्ठित पत्रिका सिस्टमैटिक बॉटनी में जानकारी प्रकाशित हुई है। इस पत्रिका का प्रकाशन अमेरिकन सोसायटी ऑफ प्लांट टैक्सोनॉमिस्ट द्वारा किया जाता है।
आईआईएसईआर भोपाल के बायोलॉजिकल साइंस विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर विनीता गौड़ा ने बताया, ‘‘जैवविविधता वाले दो हॉटस्पॉट भारत-बर्मा हॉटस्पॉट और पूर्वी हिमालय के कारण पूर्वोत्तर भारत में पौधों की प्रजातियों की विविधता बहुत ज्यादा और अनोखी है।’’
यह नयी प्रजाति ‘डिडिमोकार्पस विकिफंकी’ फिलहाल मिजोरम में सिर्फ तीन जगहों पर मिली है और इसे लुप्त प्राय प्रजाति माना जा रहा है। यह पेड़ों पर उगने वाले पौधों की प्रजाति है और मानसून में इसमें हल्के गुलाबी रंग के फूल आते हैं। प्रजाति का नाम अमेरिका के स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट के प्रतिष्ठित वनस्पति विज्ञानी दिवंगत विकी एन फंक के नाम पर रखा गया है।
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