सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, शीर्ष अदालत से मिली अंतरिम जमानत
By रुस्तम राणा | Published: September 2, 2022 04:53 PM2022-09-02T16:53:06+5:302022-09-02T17:01:51+5:30
अंतरिम जमानत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को मामले की बची हुई जांच में पूरा सहयोग करना होगा। साथ ही कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए भी कहा है।
नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। शुक्रवार को देश की शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी है। सोशल एक्टिविस्ट 2002 के गुजरात दंगों के बाद "सरकार को अस्थिर करने" की कथित साजिश के आरोप में जून से जेल में बंद हैं।
जमानत के लिए उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अंतरिम जमानत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सीतलवाड़ को मामले की बची हुई जांच में पूरा सहयोग करना होगा। साथ ही कोर्ट ने उन्हें पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए भी कहा है।
सुप्रीम कोर्ट से पहले तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात हाईकोर्ट गई थीं। लेकिन 3 अगस्त को उच्च न्यायालय उनकी याचिका को 6 सप्ताह के लिए लंबित कर दिया था। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, "हाईकोर्ट को मामले की पेंडेंसी के दौरान अंतरिम जमानत के लिए याचिका पर विचार करना चाहिए था।"
Supreme Court grants interim bail to activist Teesta Setalvad in a case where she was arrested for allegedly fabricating documents to frame innocent people in 2002 Gujarat riots cases pic.twitter.com/7OttDYWMmg
— ANI (@ANI) September 2, 2022
अदालत ने कहा, "यह रिकॉर्ड की बात है कि सीतलवाड़ को सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया और पुलिस द्वारा प्रतिदिन जांच की गई ... (और वह) न्यायिक हिरासत में (गुजरात में) बनी हुई है।
अदालत ने कहा कि उसे इस साल 26 जून को गिरफ्तार किया गया था, जबकि आरोप 2002-12 की अवधि से संबंधित हैं। "जांच एजेंसी को सात दिनों के लिए हिरासत में पूछताछ का लाभ मिला है।"
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि सीतलवाड़ दो महीने से अधिक समय से जेल में थीं और अभी तक कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है। सीतलवाड़ को अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 25 जून को एक एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया था।
सीतलवाड़ पर आईपीसी की धारा 468, 194 के तहत मुकदमा दर्ज है। गिरफ्तारी के बाद सीतलवाड़ ने 30 जुलाई को सेशन कोर्ट से जमानत मांगी थी, लेकिन निचली अदालत ने उन्हें बेल देने से इनकार कर दिया था।