SC ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को दी राहत, कहा-असहमति है लोकतंत्र का 'सेफ्टी वाल्व'

By भाषा | Updated: August 29, 2018 22:15 IST2018-08-29T22:15:49+5:302018-08-29T22:15:49+5:30

कोर्ट के इस आदेश के बाद इन पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल नहीं भेजा जायेगा परंतु वे पुलिस की निगरानी में छह सितंबर तक घरों में ही बंद रहेंगे। 

SC granted relief to arrested activists says, "Disagreement is the 'safety valve' of democracy | SC ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को दी राहत, कहा-असहमति है लोकतंत्र का 'सेफ्टी वाल्व'

SC ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को दी राहत, कहा-असहमति है लोकतंत्र का 'सेफ्टी वाल्व'

नई दिल्ली, 29 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का बुधवार को आदेश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वाल्व' है।

कोर्ट के इस आदेश के बाद इन पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल नहीं भेजा जायेगा परंतु वे पुलिस की निगरानी में छह सितंबर तक घरों में ही बंद रहेंगे। 

इन पांचों लोगों-वरवर राव, वेरनान गोंसाल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को कल देशभर में की गई छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने भीमा-कोरेगांव घटना के करीब नौ महीने बाद इन व्यक्तियों को गिरफ्तार करने पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल भी किये।

पीठ ने कहा, 'असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है और यदि आप इन सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो यह फट जायेगा।'

शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही इन गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच बुद्धिजीवियों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किये। याचिकाकर्ताओं में अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देविका जैन भी शामिल हैं।

न्यायालय के आदेश के बाद अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है जो गिरफ्तार सभी लोगों से संबंधित है।’’ 

उन्होंने कहा कि उन सभी को उनके घर वापस ले जाया जाएगा। महाराष्ट्र पुलिस ने कल देशव्यापी कार्रवाई कर इन लोगों को गिरफ्तार किया था। ट्रेड यूनियन नेता एवं अधिवक्ता भारद्वाज जहां फरीदाबाद स्थित अपने घर में नजरबंद हैं, वहीं कार्यकर्ता नवलखा दिल्ली स्थित अपने घर में नजरबंद हैं। 

तेलगू कवि राव और कार्यकर्ताओं-गोंसाल्विज तथा फरेरा को बीती देर रात पुणे ले जाया गया था। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद पुणे की एक अदालत ने शहर पुलिस को निर्देश दिया कि वह गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को उनके घर ले वापस ले जाए।

पुलिस ने हैदराबाद से तेलुगू कवि वरवर राव को गिरफ्तार किया था जबकि वेरनान गोंसाल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। 

इसी तरह पुलिस ने ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नयी दिल्ली से गिरफ्तार किया था।

अधिकारियों ने बताया कि इन लोगों को समानांतर छापेमारी में माओवादियों से सपंर्कों के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्साल्विज और नवलखा को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया जो विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, नस्ल, स्थान, भाषा के आधार पर वैमनस्यता बढ़ाने और सौहार्द को नुकसान पहुंचाने के कृत्य से संबंधित है।

साकेत अदालत ने नवलखा को ट्रांजिट रिमांड पर पुणे ले जाने की अनुमति दे दी थी जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।

वहीं, भारद्वाज के मामले में फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने महाराष्ट्र पुलिस को ट्रांजिट रिमांड की अनुमति दे दी थी। हालांकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा ट्रांजिट रिमांड के आदेश पर तीन दिन का स्थगनादेश दिए जाने के बाद आज सुबह मजिस्ट्रेट को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। 

महाराष्ट्र पुलिस ने इन सभी को पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में भड़की हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

न्यायालय इस मामले में अब छह सितंबर को आगे सुनवाई करेगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन एच आर सी) ने भी विवाद में कदम उठाया और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मानक प्रक्रिया का उचित पालन नहीं किया गया जो गिरफ्तार लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन के बराबर माना जा सकता है।

इसने महाराष्ट्र सरकार तथा राज्य पुलिस के प्रमुख को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी। 

शीर्ष अदालत के फैसले के साथ ही पुणे पुलिस ने कहा कि उसके पास ‘‘शीर्ष राजनीतिक पदाधिकारियों’’ को निशाना बनाने की साजिश से संबंधित ‘‘सबूत’’ हैं।

पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त शिवाजी राव बोडखे ने यह दावा भी किया कि गिरफ्तार लोगों के कश्मीरी अलगाववादियों से संबंध थे।

उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि एल्गार परिषद को माओवादियों से वित्तीय मदद मिलती थी।

इससे पहले आज महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी से पहले सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

उन्होंने कहा कि इन लोगों को उनकी नक्सली गतिविधियों की वजह से गिरफ्तार किया गया। ‘‘यदि सबूत नहीं होते तो हम उन्हें गिरफ्तार नहीं करते।’’ 

नागरिक अधिकार समूह पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स द्वारा जारी बयान में नवलखा ने कहा, 'यह पूरा मामला इस प्रतिशोधी और कायर सरकार द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक चाल है जो भीमा कोरेगांव के असली दोषियों को बचाना चाहती है।'

'इस तरह वह कश्मीर से लेकर केरल तक अपनी नाकामियों और घोटालों से ध्यान बंटाना चाहती है।'

वहीं, तेलुगू कवि वरवर राव की पत्नी हेमलता ने कहा कि पुलिस ने तलाशी से पहले कोई वारंट नहीं दिखाया और कंप्यूटर हार्ड डिस्क तथा मोबाइल फोन अपने साथ ले गई। 
 

Web Title: SC granted relief to arrested activists says, "Disagreement is the 'safety valve' of democracy

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे