लाइव न्यूज़ :

अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अप्रैल में करेगा सुनवाई

By भाषा | Updated: November 16, 2018 19:15 IST

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस याचिका की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुये कहा कि इस समय मौजूदा हालात बहुत ही संवेदनशील हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वह अप्रैल, 2019 के पहले सप्ताह में इस मामले की सुनवाई करेगी।

Open in App

उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार के अनुरोध पर शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अप्रैल में सुनवाई की जायेगी। 

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस याचिका की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुये कहा कि इस समय मौजूदा हालात बहुत ही संवेदनशील हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वह अप्रैल, 2019 के पहले सप्ताह में इस मामले की सुनवाई करेगी।

अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘राज्य में राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि जिसमें इस मामले की सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।’’ जम्मू कश्मीर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि राज्य में नौ चरणों में चल रहे पंचायत चुनावों की वजह से सुनवाई स्थगित करने के लिये पत्र दिया गया है।

इस पर पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 35ए की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ इस मामले को संलग्न किया जा सकता है। अनुच्छेद 35ए राज्य में स्थाई नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान करने से संबंधित है।

राज्य सरकार के वकीलों ने इस सुझाव का विरोध करते हुये कहा कि दोनों मुद्दे परस्पर भिन्न हैं और इस याचिका को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न नहीं करना चाहिए।

इसके बाद, पीठ ने यह याचिका अप्रैल के पहले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दी। शीर्ष अदालत ने कुमारी विजयलक्ष्मी झा की अपील पर सुनवाई के दौरान तीन अप्रैल को कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रावधान नहीं है। विजयलक्ष्मी झा ने दिल्ली उच्च न्यायलय के 11 अप्रैल, 2017 के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर रखी है।

याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में दावा किया था कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान था जो 1957 में संविधान सभा भंग होने के साथ ही खत्म हो गया।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टजम्मू कश्मीर
Open in App

संबंधित खबरें

भारत32000 छात्र ले रहे थे शिक्षा, कामिल और फाजिल की डिग्रियां ‘असंवैधानिक’?, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद नए विकल्प तलाश रहे छात्र

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारत अधिक खबरें

भारतमहाराष्ट्र शीतकालीन सत्र: चाय पार्टी का बहिष्कार, सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति करने में विफल रही सरकार

भारतगोवा अग्निकांड: मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, सीएम प्रमोद सावंत ने ₹5 लाख मुआवज़े की घोषणा की

भारतसतत निगरानी, सघन जांच और कार्रवाई से तेज़ी से घटा है नक्सली दायरा: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भारतयूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में योगी सरकार लाएगी 20,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट, 15 दिसंबर हो सकता है शुरू

भारतकांग्रेस के मनीष तिवारी चाहते हैं कि सांसदों को संसद में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वोट देने की आजादी मिले, पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल