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तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर पुनर्विचार करे सऊदी अरब: दारुल उलूम देवबंद

By भाषा | Updated: December 13, 2021 22:41 IST

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(डेटलाइन और स्लग में बदलाव के साथ जारी)

अयोध्या, 13 दिसंबर विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इस्लामी मिशनरी आंदोलन तबलीगी जमात को ''आतंकवाद का प्रवेश द्वार'' घोषित कर इस पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी अरब के कथित निर्णय की निंदा की है।

शिक्षण संस्थान के मुख्य मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा न हुआ, तो मुसलमानों के बीच गलत संदेश जा सकता है।

ऐसा पहली बार हुआ है जब दारुल उलूम देवबंद ने सऊदी सरकार की खुलेआम निंदा की है।

सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने हाल में तबलीगी जमात को आतंकवाद का प्रवेश द्वार करार देते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

प्रख्यात मुस्लिम कार्यकर्ता जफर सरेशवाला ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''मैं सऊदी अरब के फैसले से हैरान हूं, क्योंकि तबलीगी जमात हमेशा से किसी भी चरमपंथी विचार का विरोधी रहा है। जमात ने सभी आधुनिक जिहादी आंदोलनों को अस्वीकार किया है। यहां तक ​​कि तालिबान ने भी कई बार तबलीगी जमात के खिलाफ बात की है। ''

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब द्वारा तबलीग को आतंकवाद के प्रवेश द्वार के रूप में वर्णित करना अविश्वसनीय और अस्वीकार्य है।

ब्रिटेन से एक वीडियो संदेश में हजरत निजामुद्दीन मरकज के तबलीगी जमात के प्रवक्ता समीरुद्दीन कासमी ने कहा, ''यह तबलीगी जमात पर बड़ा आरोप है। इसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। तबलीगी जमात वह समूह है, जो आतंकवाद का प्रतिरोध करता है। आतंकवाद की निंदा करता है और आतंकवाद को खारिज करता है।''

उन्होंने कहा, ''हम किसी को भी किसी भी धर्म, समुदाय और देश के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं देते हैं। हम केवल इस्लाम के पांच स्तंभों की बात करते हैं, हमारा कोई भी व्यक्ति कभी भी किसी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं पाया गया है।''

उन्होंने कहा, '' हो सकता है कि सऊदी सरकार को गुमराह किया गया हो।''

तबलीगी जमात के एक धड़े के सदस्य मोहम्मद मियां ने कहा, ''हमारे जमाती पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं। यहां तक ​​कि सऊदी अरब में भी जमात के सदस्य मुसलमानों को पैगंबर के बताए हुए सही रास्ते पर लाने के लिए काम कर रहे हैं। हम सऊदी सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन हमारे जमाती सऊदी अरब में काम करना जारी रखेंगे।''

दारुल उलूम नदवा के एक वरिष्ठ संकाय सदस्य मौलाना फखरुल हसन खान ने कहा, ''अब तक हमें केवल मीडिया के माध्यम से प्रतिबंध की खबर मिली है। हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सऊदी अरब में अपने लोगों से संपर्क करेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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