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भदोही में नियुक्ति की मांग पर 63 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं सफाईकर्मी

By भाषा | Updated: December 20, 2020 20:38 IST

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भदोही (उप्र) 19 दिसंबर भदोही जिले में सफाई कर्मियों की नियुक्ति की मांग को लेकर सफाईकर्मी संघर्ष समिति के पिछले 63 दिनों से विकास भवन में चल रहे आंदोलन ने रविवार को गति पकड़ ली। कड़ाके की ठंड में सात आंदोलनकारी आमरण अनशन पर भी बैठे हैं।

सफाईकर्मी संघर्ष समिति की अध्‍यक्ष दिव्‍या पाठक भी अनशन पर बैठी हैं। अनशनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ से हस्‍तक्षेप की मांग की है।

आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश में एक मात्र भदोही ऐसा जिला है जहां 12 वर्ष बीत गये लेकिन एक भी सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं हुई। वर्ष 2008 में राज्‍य सरकार ने सफाईकर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी।

आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहीं दिव्‍या पाठक ने कहा '' जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।''

इस संदर्भ में जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने रविवार को बताया कि जिले में सफाईकर्मियों की कमी है और शासन को पत्र भेजकर निर्देश मांगा गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि ''वह खुद अनशन स्‍थल पर गये थे और आंदोलनकारियों से अनशन समाप्‍त करने का अनुरोध किया है।''

प्रसाद ने कहा कि शासन को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया गया है और जैसा आदेश मिलेगा उसी अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि सफाईकर्मियों की भर्ती पर रोक शासन स्‍तर से ही लगी है। सफाईकर्मी संघर्ष समिति का मांग पत्र भी शासन को भेजा गया है।

आंदोलनकारियों का कहना है कि अब तक 30 कार्यकर्ता आंदोलन के दौरान बीमार होकर अस्‍पताल जा चुके हैं लेकिन किसी का हौसला टूटा नहीं है।

जिला पंचायत राज अधिकारी बालेश्वर धर द्विवेदी ने बताया कि साल 2008 में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सफाई कर्मी की भर्ती शुरू हुई। भदोही जिले के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी दीपिका दुग्गल ने 1264 पद के लिए आवेदन मांगे थे जिसमें तेरह लाख से ज़्यादा लोगों ने आवेदन कर दिया। द्विवेदी ने बताया कि 5678 लोगों का टेस्‍ट लेने के साथ साईकिल चलाना और कई गाँव के नालों की सफाई करवाई गई। उसी बीच चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के आरोप में तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी एनके सिंह और आरडी राम को निलंबित कर दिया गया और चयन प्रक्रिया रुक गई। अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट की शरण लिए जाने के बाद साल 2014 में शासन ने इस प्रक्रिया को निरस्त कर चयन पर रोक लगा दी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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