आरटीआई से खुलासा, कोचिंग के गढ़ कोटा में 2011 से 2019 के बीच 104 विद्यार्थियों ने दी जान

By भाषा | Updated: October 4, 2020 15:14 IST2020-10-04T15:14:47+5:302020-10-04T15:14:47+5:30

आरटीआई के तहत कोटा पुलिस के जवाब से यह भी मालूम हुआ है कि शहर के अलग-अलग कोचिंग संस्थानों की मदद से मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के दौरान खुदकुशी करने वाले इन विद्यार्थियों की उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी।

RTI revealed, 104 students lost their lives in the coaching quota between 2011 and 2019 | आरटीआई से खुलासा, कोचिंग के गढ़ कोटा में 2011 से 2019 के बीच 104 विद्यार्थियों ने दी जान

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsराजस्थान के कोटा शहर में 2011 से 2019 के बीच अलग-अलग कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाली 31 लड़कियों समेत कुल 104 विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली।मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि उनकी अर्जी पर कोटा पुलिस ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी है।

इंदौरः सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि राजस्थान के कोटा शहर में 2011 से 2019 के बीच अलग-अलग कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाली 31 लड़कियों समेत कुल 104 विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली। खुदकुशी का कदम उठाने वाले ये विद्यार्थी कोचिंग का गढ़ माने जाने वाले शहर में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की उन प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे जिनमें लाखों उम्मीदवारों को गलाकाट प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि उनकी अर्जी पर कोटा पुलिस ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी है। कोटा के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ने जवाब में बताया कि शहर में कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों की आत्महत्या के 2011 में छह, 2012 में नौ, 2013 में 13, 2014 में आठ, 2015 में 17, 2016 में 16, 2017 में सात, 2018 में 20 और 2019 में आठ मामले सामने आए।

आरटीआई के तहत कोटा पुलिस के जवाब से यह भी मालूम हुआ है कि शहर के अलग-अलग कोचिंग संस्थानों की मदद से मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के दौरान खुदकुशी करने वाले इन विद्यार्थियों की उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी। इनमें राजस्थान के साथ ही बिहार, हिमाचल प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब, केरल, गुजरात, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु के विद्यार्थी शामिल हैं।

आरटीआई से मिली जानकारी में इस बात का विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है कि देश के शीर्ष मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले की जबर्दस्त होड़ में शामिल इन विद्यार्थियों ने किन कारणों से आत्महत्या की? हालांकि, गरीब तबके के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की कोचिंग देने वाले पटना स्थित मशहूर संस्थान "सुपर 30" के संस्थापक आनंद कुमार का कहना है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के दौरान विद्यार्थी भारी मानसिक दबाव का सामना करते हैं।

उन्होंने कहा, "अक्सर इस दबाव का पहला कारण विद्यार्थियों के परिजनों का यह अरमान होता है कि उनकी संतानों को डॉक्टर या इंजीनियर ही बनना चाहिए।" कुमार ने सुझाया कि मेडिकल या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले किसी भी कोचिंग संस्थान में दाखिले से पहले विद्यार्थियों का अकादमिक रुझान जांचा जाना अनिवार्य होना चाहिए ताकि पता चल सके कि वे इन क्षेत्रों में जाना चाहते भी हैं या नहीं?

इस बीच, मनोचिकित्सक भास्कर प्रसाद ने कहा, "खासकर विज्ञान और गणित संकायों के विद्यार्थी 12वीं पास करने के बाद अगले पांच साल तक अपनी पढ़ाई को लेकर खासे तनाव का सामना करते हैं। ऐसे में अभिभावकों को अपनी संतानों के व्यवहार पर लगातार नजर रखनी चाहिए। जरूरत महसूस होने पर उन्हें खुद अपने बच्चों की काउंसलिंग करने या किसी मनोचिकित्सक की सलाह लेने में देर नहीं करनी चाहिए।"

उन्होंने कहा, "इस बात को भी समझे जाने की जरूरत है कि आत्महत्या का कदम उठाने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग अवसाद, व्यग्रता या किसी अन्य मनावैज्ञानिक समस्या से पहले ही जूझ रहे होते हैं। लिहाजा इन समस्याओं को लेकर सामाजिक स्तर पर समझ और संवेदनशीलता बढ़ाये जाने की जरूरत है।" 

Web Title: RTI revealed, 104 students lost their lives in the coaching quota between 2011 and 2019

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