नागपुर। आठ हजार साल बीतने पर भी भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर लोग सवाल उठाते हैं. इसकी वजह यह है कि अब समाज में राम जैसे लोग नजर नहीं आते हैं. इसी कारण ऐसे सवाल उठने की बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कही. भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी के जन्मशताब्दी वर्ष के शुभारंभ अवसर पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे.
नागपुर के रेशमबाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर के महर्षि व्यास सभागृह में हुए इस कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष व दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समारोह समिति की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सचिव वीरजेश उपाध्याय, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, राष्ट्रसेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का, पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिलाताई मेंढे प्रमुखता से उपस्थित थीं.
इस दौरान डॉ. मोहन भागवत ने आगे कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी ने सामाजिक समरसता का सपना देखा था. उनके विचार आज भी उतने ही शाश्वत हैं. बदलते समय में इन मूल्यों को संजोए रखकर वैचारिक गति बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी एक महान विचारक थे. लेकिन विचारों की चौखट में बंद नहीं थे. उनके जैसे महापुरुषों के वचन और कर्म जनता तक पहुंचाना जरूरी है. उनका व्यक्तित्व, कृतित्व और नेतृत्व समाज में प्रबोधित करना चाहिए. वीरजेश उपाध्याय ने प्रास्ताविक भाषण दिया.
अमर कुलकर्णी ने वैयक्तिक गीत प्रस्तुत किया. आभार अजय पत्की ने माना. बॉक्स उपदेश को कृति में दर्शाएं नेतृत्वकर्ता सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि टीमवर्क करते समय नेतृत्वकर्ताओं को सभी के साथ एकत्रित रहकर काम करना चाहिए. विशेष बात यह है कि उन्हें अन्य को दिए जाने वाले उपदेशों को पहले अपनी कृति में दर्शाना चाहिए. जैसा बोलते हैं वैसा व्यवहार करना चाहिए.