पटना: नए साल में सत्तारूढ़ राजद और जदयू नेताओं के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा राजद विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के बहाने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को चेतावनी दिये जाने के बाद सुधाकर सिंह ने पलटवार किया है। उपेन्द्र कुशवाहा के चिट्टी के जवाब में सुधाकर सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा के नाम से चिट्टी लिखकर उन्हें नीतीश कुमार के बारे में दिए गए पुराने बयानों को याद कराया है, जिसमें उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के विरोध में कई तरह की बाते कही थी। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को भाषाई मर्यादा की याद दिलाई।
साथ ही सुधाकर सिंह ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि नीतीश कुमार को हटाने के लिए जो नींव आपने चार वर्ष पहले रखी थी, वह जल्द पूरी होगी। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए लिखा है कि प्रिय उपेंद्र कुशवाहा जी, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। आपको जानकर खुशी होगी कि लालू प्रसाद यादव जी की सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करने वाले आप जैसे योद्धा का मैं पुराना प्रशंसक हूं। विशेष रुप से इस वजह से भी कि कई वर्षों पहले आपने नीतीश कुमार के बारे में जो भी भविष्यवाणियां की थीं, वह आज सच साबित हो रहीं है।
उन्होंने लिखा, मुझे ठीक ठीक याद है कि आपने 9 दिसम्बर 2011 को नीतीश कुमार को तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताते हुए जदयू से इस्तीफा दे दिया था। उस समय मुझे भी आपके इस वक्तव्य पर आश्चर्य हुआ था, मगर आज आपकी दूरदर्शिता पर गर्व महसूस होता है। चार वर्ष पहले आपके द्वारा आयोजित की गई “नीतीश हटाओ भविष्य बचाओ” पदयात्रा आज भी हमारे जैसे साधारण कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणाश्रोत है।
उन्होंने आगे लिखा कि कृषि मण्डी कानून आपकी पार्टी रालोसपा के घोषणा पत्र का प्रमुख हिस्सा था, जिसकी लड़ाई आज भी मैं लड़ रहा हूं। यहां तक कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार के बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर आपने आमरण अनशन भी किया था जिसे हमारे नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने ही आपको जूस पिलाकर अनशन खत्म करवाया था।
उन्होंने लिखा, आपने जब पूरे बिहार में खीर पकाने की बात की तो हमने पुरी तन्मयता के साथ बिल्ली से उस खीर की रक्षा के लिए तैयारी की। मगर हमें क्या पता था कि खुद बाघ ही बिल्ली को खीर की हांडी परोस जायेगा और खीर बनाने वाले को एक चम्मच खीर भी नसीब नहीं होगा। रही बात नीतीश कुमार को शिखंडी कहे जाने कि तो यह संज्ञा राजद के द्वारा आधिकारिक तौर पर कई वर्षों पहले ही नीतीश कुमार को दी जा चुकी है, उसे सहर्ष स्वीकारने के बाद ही नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल से अपनी सरकार बचाने के लिए सहयोग की गुजारिश करने आए थे।