आजाद भारत में पहली बार अनाज और कफन पर टैक्स लगाया गया है, जीएसटी लगाने पर बोले तेजस्वी यादव
By एस पी सिन्हा | Published: July 22, 2022 05:42 PM2022-07-22T17:42:39+5:302022-07-22T17:45:38+5:30
तेजस्वी ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अति आवश्यक खाद्य पदार्थों गेंहू, अनाज, चावल, आटा, किताब, कफन, इलाज इत्यादि पर भी जीएसटी लगाकर गरीबी में आटा गीला करने जैसा क्रूर काम किया है।
पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने को लेकर एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि आजाद भारत में पहली बार अनाज और कफन पर टैक्स लगाया गया है, जिसका सबसे अधिक खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा। तेजस्वी ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अति आवश्यक खाद्य पदार्थों गेंहू, अनाज, चावल, आटा, किताब, कफन, इलाज इत्यादि पर भी जीएसटी लगाकर गरीबी में आटा गीला करने जैसा क्रूर काम किया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देशवासी नोटबंदी के बाद से बदहाल अर्थव्यवस्था, बेतहाशा महंगाई और रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी एवं नौकरी के विकल्पों के अभाव से पहले से ही जूझ रहे थे कि अब सरकार ने आजादी के बाद अति आवश्यक खाद्य पदार्थों पर भी जीएसटी लगा दिया गया। इस टैक्स के कारण दूध-दही, घी, आटा, चावल, स्टेशनरी इत्यादि के भाव 10-15 फीसदी बढ़ गए हैं। इससे लोगों की पढ़ाई लिखाई और खान-पान व पोषण अर्थात् लोगों के भविष्य और वर्तमान पर सीधा सीधा असर पड़ रहा है।
उन्होंने बेरोजगारी को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हर बीतते महीने के साथ देश में डेढ़-दो करोड़ बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यानी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और बिना सोचे समझे अचानक लिए गए अतार्किक फैसलों एवं गलत जनविरोधी नीतियों के कारण एक ओर आय के विकल्प लगातार खत्म हो रहे हैं। वहीं बढ़ती महंगाई और नित नए थोपे जा रहे टैक्सों के कारण बचत और जीवनयापन करना असंभव सा हो गया है।
तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार दाम बढ़ाकर, राष्ट्र की संपत्ति बेचकर, निजीकरण कर, नौकरी छिनकर, लोगों की पेट पर लात मारकर कमाई करना बिल्कुल बंद करे। आम आदमी, गरीब, मजदूर, किसान का जीना मुहाल हो गया है। छोटे व मंझोले किसान व व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं। सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को आम नागरिकों की पहुंच से बाहर कर दिया गया है। पूंजीपति मित्रों के 11 लाख करोड़ की राशि तक के टैक्स और लोन माफ करने वाली जनविरोधी केंद्र सरकार में आम आदमी बिल्कुल विकल्पहीन और आशा-विहीन हो गया है जो देश के लिए बहुत खतरनाक है।