रीजीजू ने त्वरित अदालतों को स्थापित नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की

By भाषा | Updated: November 10, 2021 17:44 IST2021-11-10T17:44:04+5:302021-11-10T17:44:04+5:30

Rijiju criticizes West Bengal government for not setting up speedy courts | रीजीजू ने त्वरित अदालतों को स्थापित नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की

रीजीजू ने त्वरित अदालतों को स्थापित नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की

नयी दिल्ली, 10 नवंबर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने यौन अपराधों के मामलों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए त्वरित (फास्ट-ट्रैक) विशेष अदालतों को स्थापित करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि राज्य ‘‘भारतीय संघ से बाहर’’ है।

रीजीजू ने ‘टाइम्स नाऊ समिट’ में राजद्रोह कानून के पक्ष में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए दंडात्मक उपायों की आवश्यकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पूर्ण अधिकार का उपयोग देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया जाये।

उन्होंने यह भी कहा कि साल के अंत तक न्यायाधीशों की एक ‘‘रिकॉर्ड’’ संख्या में नियुक्ति की जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने फास्ट-ट्रैक अदालतों पर कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार पर पर्याप्त दबाव डाला जाए। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कोई फास्ट-ट्रैक अदालत स्थापित नहीं की है। यह राज्य के युवाओं के साथ अन्याय है। वास्तव में, पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। मैंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और मैं उन्हें फिर से याद दिलाऊंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि राज्य भारतीय संघ के बाहर मौजूद है। यह अच्छी बात नहीं है।’’

वर्ष 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के बाद केंद्र सरकार ने 1,023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) को स्थापित करने का निर्णय लिया था, जिसमें से 389 अदालतें 31 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पॉक्सो) के उल्लंघन से संबंधित मामलों से निपटने के लिए शामिल हैं।

इन एफटीएससी के मुकाबले, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 367 पॉक्सो अदालतों सहित 674 को चालू किया गया है, और इस साल अगस्त तक उन्होंने कोरोना वायरस के कारण लगाये गये लॉकडाउन के बावजूद 56,267 मामलों का निपटारा किया है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एफटीएससी योजना के लिए अपनी सहमति दे दी है।

पश्चिम बंगाल, जहां 123 ऐसी अदालतों को स्थापित किया जाना है, अंडमान और निकोबार, जहां एक अदालत और अरुणाचल प्रदेश, जहां तीन एफटीएससी निर्धारित किया गई है, ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है।

अरुणाचल प्रदेश ने कानून मंत्रालय में न्याय विभाग को बताया है कि फिलहाल मामलों की कम संख्या के कारण राज्यों में ऐसी अदालतों की आवश्यकता नहीं है।

गोवा को दो एफटीएससी निर्धारित की गई थी। सूत्रों ने कहा कि इसने एक एफटीएससी के लिए सहमति दी थी, लेकिन इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है।

रीजीजू ने कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि पश्चिम बंगाल सरकार पर फास्ट ट्रैक अदालत स्थापित करने के लिए पर्याप्त दबाव डाला जाए।’’

मंत्री ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के विवादास्पद विषय पर बात की और कहा कि सरकार अधिक सक्रिय हो गई है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति केवल सरकार ही नहीं करती, बल्कि लंबी प्रक्रिया के बाद उन्हें चुना जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार अपने दम पर नामों को निर्धारित नहीं कर सकती है। पिछले पांच महीनों में सरकार काफी सक्रिय रही है और साल के अंत तक आप रिकॉर्ड संख्या में न्यायाधीशों की नियुक्ति होते देखेंगे। इसके बाद कई भ्रांतियां दूर हो जाएंगी।’’

न्यायपालिका पर सरकार के प्रभाव पर विपक्षी दलों के बार-बार लगाए गए आरोपों पर रीजीजू ने कहा कि इस तरह के आरोप ‘‘आधारहीन’’ हैं।

मंत्री ने कहा कि कुछ मामलों में न्यायपालिका के साथ सरकार के मतभेदों को ‘‘विभाजन’’ के आलोक में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप एक लोकतांत्रिक समाज में हैं और ऐसे मतभेद मौजूद हैं तो ये स्वतंत्र सोच दिखाते हैं। हमें विचारों के मतभेदों की सराहना करनी चाहिए।’’

रीजीजू ने विशिष्ट मामलों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने राजद्रोह कानून का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी स्वतंत्रता का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

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Web Title: Rijiju criticizes West Bengal government for not setting up speedy courts

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