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हाथ से मैला साफ करने के कारण कोई मौत नहीं होने के जवाब से अधिकार कार्यकर्ता खफा

By भाषा | Updated: July 30, 2021 13:23 IST

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नयी दिल्ली, 30 जुलाई केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संसद में दिये गये इस जवाब को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं मिली है कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों की मौत के बाद भी उनकी गरिमा छीन ली गई।

हाथ से साफ-सफाई को ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013’ के तहत प्रतिबंधित किया गया है।

राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान हुई है।

यह प्रश्न किए जाने पर कि हाथ से मैला ढोने वाले ऐसे कितने लोगों की मौत हुई है,पर उन्होंने कहा, ‘‘हाथ से सफाई के कारण किसी के मौत होने की सूचना नहीं है।’’

सरकार हाथ से मैला सफाई के कारण मौत को मान्यता नहीं देती और इसके बजाय इसे खतरनाक तरीके से शौचालय टैंक एवं सीवर की सफाई के कारण मौत बताती है।

संसद के पिछले सत्र के दौरान दस मार्च को अठावले ने कहा था, ‘‘हाथ से मैला साफ करने के कारण किसी की मौत नहीं हुई। बहरहाल, शौचालय टैंक या सीवर की सफाई के दौरान लोगों के मौत की खबर है।’’

कार्यकर्ताओं ने सरकार के जवाब को पूरी तरह संवदेनहीन करार दिया है।

सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाडा विल्सन ने कहा कि मंत्री ने खुद ही स्वीकार किया था कि सीवर की सफाई के दौरान 340 लोगों की मौत हुई है। यह संगठन हाथ से मैला सफाई उन्मूलन के लिए काम करता है।

उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘वह तकनीकी रूप से बयान दे रहे हैं और हाथ से मैला सफाई को सूखा शौच बता रहे हैं। इसलिए उन्हें अपने बयान में स्पष्ट रूप से जिक्र करना चाहिए कि सूखे शौच से लोगों की मौत नहीं हो सकती है बल्कि शौचालय के टैंक के कारण लोगों की मौत होती है। सरकार हर चीज से इंकार कर रही है और इसी तरह हाथ से मैला सफाई के कारण होने वाली मौत से भी इंकार कर रही है।’’

दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच के सचिव संजीव कुमार ने ‘पीटीआई’ से कहा कि मौत की संख्या की सूचना छिपाई जा रही है और सरकार इससे पूरी तरह इंकार कर रही है जो काफी निंदनीय है।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में ही काफी मौतें हुई हैं। यह काफी दुखद है कि सरकार उनकी मौत का संज्ञान नहीं ले रही है। जिन लोगों की मौत हुई है उनकी गरिमा मरने के बाद भी छीन ली गई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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