‘भुलाये जाने का अधिकार’: अदालत ने इंटरनेट से फैसला हटाने की याचिका पर केंद्र, गूगल से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 29, 2021 20:20 IST2021-09-29T20:20:32+5:302021-09-29T20:20:32+5:30

'Right to be forgotten': Court seeks response from Centre, Google on plea to remove judgment from internet | ‘भुलाये जाने का अधिकार’: अदालत ने इंटरनेट से फैसला हटाने की याचिका पर केंद्र, गूगल से जवाब मांगा

‘भुलाये जाने का अधिकार’: अदालत ने इंटरनेट से फैसला हटाने की याचिका पर केंद्र, गूगल से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 29 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘भूलाए जाने के अधिकार’ के तहत सात साल पुरानी एक प्राथमिकी के सिलसिले में सुनाये गये अदालत के एक फैसले और एक आदेश को इंटरनेट से हटाने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को केंद्र, सर्च इंजन गूगल तथा इंडिया कानून से जवाब मांगे।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने उन्हें नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा और मामले में अगली सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तारीख तय की जब सुनवाई के लिए ऐसी अनेक याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि ‘भुलाये जाने का अधिकार’ इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कितना लंबा खींचना है।

उसने कहा, ‘‘कल बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोग आएंगे और कहेंगे कि कृपया फैसला हटा दें। हमें अधिकारों का संतुलन करना होगा।’’

अदालत सुखमीत सिंह आनंद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 2014 में उसके खिलाफ यहां आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में 2015 और 2018 में पारित एक फैसले और एक आदेश को हटाने का अनुरोध किया गया है।

सैमसंग गल्फ इलेक्ट्रॉनिक एफजेडई, दुबई की एक शिकायत पर 2014 में याचिकाकर्ता तथा अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।

अधिवक्ता तरुण राणा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि गूगल पर केवल सिंह का नाम टाइप करने से वेब पेज लोगों को सीधे आदेश के लिंक तक ले जाता है।

याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंटों को अगस्त 2018 में चुनौती दी थी और उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया था।

इसके बाद उन्होंने एक और याचिका दाखिल कर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि सर्च इंजनों को मामले में आदेश पाने से रोका जाए। इस याचिका को भी मई 2019 में खारिज कर दिया गया था।

याचिका में उच्च न्यायालय के इस साल अप्रैल में जारी एक अंतरिम आदेश का जिक्र किया गया है जिसमें मामले में याचिकाकर्ता के संबंध में सर्च के परिणामों से फैसले को हटाने का निर्देश दिया गया।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने कानून सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस भेजकर उसके सिस्टम से आदेश हटाने को कहा था। हालांकि कंपनी ने वेबसाइट की नीति का हवाला देकर आदेश हटाने से मना कर दिया।

याचिकाकर्ता ने केंद्र और गूगल को भी नोटिस भेजकर वेब पोर्टल से देखे जा रहे दो आदेशों को हटाने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा था। गूगल ने भी इस संबंध में कुछ करने में असमर्थता जाहिर की।

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Web Title: 'Right to be forgotten': Court seeks response from Centre, Google on plea to remove judgment from internet

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