राजोआना की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

By भाषा | Updated: December 4, 2020 16:02 IST2020-12-04T16:02:02+5:302020-12-04T16:02:02+5:30

Response to the Center on the delay in sending the proposal to waive Rajoana's sentence to the President | राजोआना की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

राजोआना की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

नयी दिल्ली, चार दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर शुकवार को केन्द्र सरकार से जवाब मांगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह बताए कि संबंधित प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को इस संबंध में कब प्रस्ताव भेजेंगे।

संविधान के अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसे कम करने का अधिकार प्राप्त है।

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात सितंबर को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा।

पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज से कहा कि वह यह बतायें कि यह प्रस्ताव अभी तक क्यों नहीं भेजा गया है।

शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा माफ करने के बारे में उसकी याचिका का शीघ्र निस्तारण करने का गृह मंत्रालय को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को 31 अगस्त 1995 को पंजाब सचिवालय के बाहर हुये बम विस्फोट में संलिप्त होने के जुर्म का दोषी पाया गया था। इस विस्फोट में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गये थे।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान नटराज ने पीठ से कहा कि राजोआना ने इस मामले में शीर्ष अदालत में कोई अपील दायर नही की है।

पीठ ने नटराज से कहा, ‘‘लंबित अपील के बारे में आपकी तरफ से किसी को बहुत ज्यादा गलतफहमी है।’’

नटराज ने कहा कि मौत की सजा माफ करने के बारे में निर्णय राष्ट्रपति को ही लेना है।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘फिर, न्यायालय में सह-अभियुक्त की याचिका लंबित होने का इससे क्या संबंध है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘सरकार ने मौत की सजा माफ करने का फैसला लिया और अब यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजना था।’’

नटराज ने जब यह कहा कि प्रस्ताव अभी तक राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा गया है तो पीठ ने कहा, ‘‘फिर, यह कितकी गलती है। आपके कहने का मतलब है कि उप सचिव (गृह मंत्रालय) ने किसी अधिकार के बगैर ही यह पत्र लिखा था? अत: हम आपसे पूछ रहे हैं कि अनुच्छेद 72 के अंतर्गत यह प्रस्ताव अभी तक राष्ट्रपति के पास क्यों नही भेजा गया?’’

पीठ ने कहा, ‘‘आपने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरू नानक जयंती पर इसकी मौत की सजा माफ कर दी जायेगी।’’

नटराज ने इस बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिये पीठ से दो सप्ताह का वक्त देने का अनुरोध किया। पीठ ने इसकी अनुमति देते हुये इस मामले को जनवरी के प्रथम सप्ताह में सूचीबद्ध कर दिया।

पीठ ने कहा,‘‘याचिकाकर्ता ने ऐसी कोई अपील दायर नहीं की है जो इस न्यायालय में लंबित हो। निश्चित ही दूसरे सह-अभियुक्त की ओर से दायर अपील लंबित होने का राष्ट्रपति के पास भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर कोई असर नहीं पड़ता है। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज यह निर्देश प्राप्त करने के लिये समय चाहते हैं कि राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव कब भेजा जायेगा। मामले को जनवरी के प्रथम सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाये।’’

विशेष अदालत ने जुलाई, 2007 में राजोआना को इस मामले में मौत की सजा सुनाई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Response to the Center on the delay in sending the proposal to waive Rajoana's sentence to the President

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे