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पश्चिम बंगाल के मंत्री का इस्तीफा : तृणमूल ने कहा, नहीं पड़ेगा पार्टी पर असर

By भाषा | Updated: January 22, 2021 19:46 IST

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कोलकाता, 22 जनवरी पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को एक और झटका देते हुए मंत्री राजीव बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।

इस प्रकार वह उन नेताओं की सूची में शमिल हो गए हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ पार्टी का दामन छोड़ दिया है।

हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि बनर्जी के इस कदम का असर उस पर नहीं पड़ेगा।

बनर्जी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वह पार्टी के एक धड़े द्वारा सार्वजनिक रूप से उन्हें अपमानित करने और उनके काम करने के तरीकों को लेकर की गई उनकी शिकायत को सार्वजनिक करने की वजह से यह फैसला लेने को मजबूर हुए हैं।

हालांकि, बनर्जी ने इस सवाल पर टिप्पणी नहीं की कि क्या आने वाले दिनों में उनकी पार्टी छोड़ने की भी योजना है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुझे कुछ शिकायतें थीं और मैंने पार्टी नेतृत्व को उस बारे में बता दिया था। पार्टी प्रमुख के साथ मेरी बात भी हुई थी,लेकिन कुछ नहीं हुआ। बल्कि नेताओं के एक धड़े ने मुझ पर व्यक्तिगत हमले किए।’’

उन्होंने कहा,‘‘ मैं व्यक्तिगत हमले से बेहद आहत हुआ, इसलिए मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।’’

हालांकि, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में तृणमूल कांग्रेस विधायक ने मंत्रिमंडल छोड़ने की कोई वजह नहीं बताई है।

उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘ पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करना उनके लिए बहुत ही सम्मान और सौभाग्य की बात है। मैं यह अवसर मिलने पर हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।’’

दोमजूर विधानसभा सीट से विधायक बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से राजभवन में मिलकर इस्तीफा सौंपा। इस दौरान राज्यपाल एवं बनर्जी के बीच करीब एक घंटे तक बैठक हुई।

धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘ ममता बनर्जी सरकार में वन मंत्री श्री राजीव बनर्जी ने मुझसे मुलाकात कर मंत्रिमंडल से इस्तीफा सौंपा। उन्हें संकेत दिया गया गया कि संविधान के अनुरूप कदम उठाया जाएगा।’’

संयोग से बनर्जी मंत्रिमंडल की पिछली पांच बैठकों में शामिल नहीं हुए थे जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि वह खुद को पार्टी नेतृत्व से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

फेसबुक पर अपना इस्तीफा साझा करते हुए बनर्जी ने लिखा कि उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वह लोगों के लिए काम करना जारी रखेंगे।

उन्होंने लिखा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में यथा संभव मैं आपकी हर तरह की सेवा के लिए उपस्थित रहूंगा, जो मेरे राजनीति में आने का एकमात्र उद्देश्य है।’’

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस पिछले एक महीने से बनर्जी की शिकायतों को दूर करने के लिए संवाद कर रहा था। राज्य के संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चाटर्जी और पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनसे मुलाकात की थी और उन्हें मनाने की कोशिश की थी।

लक्ष्मी रत्न शुक्ला जिन्होंने गैर राजनीतिक कारणों से ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया को छोड़कर शुभेंदु अधिकारी सहित उनके सहयोगियों ने तृणमूल छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हो गए हैं।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता एवं सांसद सौगत रॉय ने कहा कि अगर उन्हें कोई समस्या थी तो उन्हें उसे चर्चा के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष लाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनकी शिकायतों को दूर करने की कोशिश की लेकिन वे अनिच्छुक दिखे। संभवत: उनकी कोई और योजना है.... फैसला करना उन पर निर्भर है।’’

रॉय की बात का समर्थन करते हुए वरिष्ठ तृणमूल नेता एवं राज्य सरकार में मंत्री अरूप रॉय ने कहा कि उन्हें पहले ही इसकी आशंका थी। रॉय को बनर्जी का विरोधी माना जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब वर्ष 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना हुई तब न तो लक्ष्मी रत्न शुक्ला थे और न ही राजीव बनर्जी। मुझे हमेशा से पता है कि ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के जाने से पार्टी पर असर नहीं पड़ेगा।’’

वहीं, बनर्जी का समर्थन करते हुए तृणमूल के बागी विधायक वैशाली डालमिया ने कहा, ‘‘ईमानदार और मेहनती लोगों की पार्टी में कोई जगह नहीं है।’’

विपक्षी भाजपा ने कहा, ‘‘ तृणमूल कांग्रेस के अंत की शुरुआत पहले ही हो चुकी है।’’

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘तृणमूल का खत्म होना केवल समय का मामला है। अगर वह (बनर्जी) हमसे जुड़ना चाहेंगे तो हम उस पर गौर करेंगे।’’

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय ने बनर्जी के कदम का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘राजीव बनर्जी अच्छे नेता और सफल मंत्री हैं। तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टी में ईमानदार और अच्छे लोगों के लिए जगह नहीं है।’’

हालांकि, बनर्जी द्वारा भगवा पार्टी में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर विजयवर्गीय ने कोई भी टिप्पणी नहीं की।

गौरतलब है कि इस साल अप्रैल-मई में 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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