लखनऊ, 18 अगस्त: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आबंटित बंगलों सहित उसने 157 सरकारी बंगले खाली करने के बार में अवगत करवाया है। वहीं, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ को उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश में निर्धारित अवधि से अधिक सरकारी बंगले में रहने वाले व्यक्तियों को इसमें रहने का शुल्क देना होगा। अगर कोई भी इनमें रहना चाहता है तो वह किराए के घर की तरह की इनमें निवास कर पाएगा।
साथ ही योगी सरकार के वकील ने ये भी कहा कि हम शीर्ष अदालत के आदेश का पालन कर रहे हैं और अभी तक 157 आवास खाली किये जा चुके हैं। इन बंगलों में निर्धारित अवधि से ज्यादा रहने वाले व्यक्तियों को इसका किराया देना होगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बंगले खाली करवाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि इस संबंध में उनको दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा। इस हलफनामे में ये बताना होगा कि सभी बंगले खाली करवाए जा चुके हैं और कितने मकान खाली हो चुके हैं और अब तक कितना धन वसूला गया है। इस मामले को आगे सुनवाई के लिये 17 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया है।
गौरबतल है कि अदालत ने 11 अप्रैल, 2017 को उस अर्जी पर योगी सरकार से जवाब मांगा था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली कराने में विफल रहने वाले प्राधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में कहा गया है। जिसके बाद एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के संपदा निदेशक से इस संबंध में जवाब मांगा था।