आरक्षण मांग: मराठा संगठनों ने पुलिस की मंजूरी के बिना सोलापुर में किया प्रदर्शन

By भाषा | Updated: July 4, 2021 20:23 IST2021-07-04T20:23:44+5:302021-07-04T20:23:44+5:30

Reservation demand: Maratha organizations protest in Solapur without police approval | आरक्षण मांग: मराठा संगठनों ने पुलिस की मंजूरी के बिना सोलापुर में किया प्रदर्शन

आरक्षण मांग: मराठा संगठनों ने पुलिस की मंजूरी के बिना सोलापुर में किया प्रदर्शन

पुणे, चार जुलाई महाराष्ट्र के सोलापुर शहर में बड़ी संख्या में मराठा आरक्षण के समर्थक कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मंजूरी के बिना रविवार को प्रदर्शन किया और सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में समुदाय को दिए गए आरक्षण को फिर से बहाल करने की मांग की, जिसे मई महीने में उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था। यह विरोध प्रदर्शन राज्य विधानमंडल का मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि विधान परिषद के पूर्व सदस्य नरेंद्र पाटिल के नेतृत्व में कम से कम 3000 कार्यकर्ताओं ने ‘मराठा आक्रोश मोर्चा’ में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में प्रदर्शन के आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

पुलिस ने मराठा समर्थक संगठनों के सदस्यों को शहर में छत्रपति संभाजी महाराज की प्रतिमा के पास धरना स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया था और सोलापुर की ओर जाने वाले कई प्रमुख मार्गों को बंद कर दिया था। इसके बावजूद कई प्रदर्शनकारी धरना स्थल तक पहुंचने में सफल रहे।

विरोध मार्च छत्रपति संभाजी महाराज की प्रतिमा से शुरू हुआ और करीब एक किलोमीटर दूर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के नजदीक संपन्न हुआ, जिसके बाद नेताओं ने भाषण दिए।

विभिन्न मराठा संगठनों के सदस्य वाले प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को दिया।

सोलापुर शहर के पुलिस आयुक्त अंकुश शिंदे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कम से कम तीन हजार लोगों ने विरोध मार्च में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने के लिए प्रदर्शन के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेंगे।’’

इस साल मई में उच्चतम न्यायालय ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के कानून को रद्द कर दिया था।

प्रदर्शन स्थल पर संवाददातों से बातचीत करते हुए पाटिल ने कहा कि सरकार को मराठा समुदाय की ताकत को कम कर नहीं आंकना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के लिए जाना जाता है। मराठा पुलिस की मनमानी से नहीं डरते और इसका सबूत सोलापुर में आयोजित किया गया मार्च है।’’

उन्होंने कहा,‘‘ विरोध प्रदर्शन से पहले मैंने जिले की सभी तहसीलों का दौरा किया था और मराठा समुदाय और विभिन्न संगठनों के सदस्यों से मुलाकात की थी। उन्होंने मुझे मोर्चा निकालने के लिए कहा , अगर पुलिस ने मराठा संगठनों के सदस्यों को रोकने की कोशिश की तो उसका जवाब दिया जाएगा।’’

पाटिल ने कहा कि मराठा संगठन इसी तरह के मार्च राज्य के अन्य जिलों में निकालेंगे और अगर अनुमति देने से इनकार किया गया तो वे कलेक्ट्रेट में दाखिल होने के लिए छापामार और जबरन घुसने की रणनीति अपनाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार को कोटा के मामले में मराठा युवाओं के सब्र की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए क्योंकि सत्र के दौरान वे विधानसभा में दाखिल हो सकते हैं।’’

पुलिस आयुक्त ने कहा कि किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सोलापुर में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई है।

सोलापुर से भाजपा सांसद जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी, स्थानीय पार्टी विधायक राम सतपुते और पार्टी के कुछ अन्य नेता भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे।

भाजपा ने राज्य की महा विकास आघाड़ी सरकार पर मराठा कोटा को लेकर शीर्ष अदालत में प्रभावी तरीके से कानूनी लड़ाई लड़ने में असफल रहने का आरोप लगाया था और पिछले महीने इस मुद्दे पर पूरे राज्य में ‘ चक्का जाम’ का आयोजन किया था।

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Web Title: Reservation demand: Maratha organizations protest in Solapur without police approval

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