अतिरिक्त लोक अभियोजकों की नियुक्ति का आप सरकार को निर्देश देने का अनुरोध
By भाषा | Updated: February 2, 2021 19:09 IST2021-02-02T19:09:59+5:302021-02-02T19:09:59+5:30

अतिरिक्त लोक अभियोजकों की नियुक्ति का आप सरकार को निर्देश देने का अनुरोध
नयी दिल्ली, दो फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अर्जी दायर करके आप सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह अतिरिक्त लोक अभियोजकों के पद सृजित करे और फिर उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में 55 त्वरित सुनवायी और पोक्सो अदालतों में नियुक्त करे।
यह अर्जी दिल्ली प्रोसेक्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष एक लंबित याचिका में दी गई है जिसकी शुरुआत उसने लोक अभियोजकों की नियुक्ति और काम करने की स्थिति को लेकर स्वयं की थी।
अधिवक्ताओं कुशाल कुमार और हर्ष आहूजा के माध्यम से दायर इस अर्जी में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार ने ‘‘55 त्वरित सुनवायी और पोक्सो अदालतों (मौजूदा और प्रस्तावित) में तैनाती के लिए अतिरिक्त सरकारी अभियोजकों के पद सृजित करने से इनकार कर दिया है।’’
पोक्सो अदालतें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने के लिए स्थापित की जाती हैं।
एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता आदित्य कपूर और आकाश दीप गुप्ता की ओर से भी किया गया। एसोसिएशन ने अपनी दलील में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 2019 में उस प्रत्येक जिले में विशेष पोक्सो अदालतें स्थापित करने का निर्देश दिया था जहां पोक्सो अधिनियम के तहत 100 से अधिक मामले हैं।
अर्जी में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि इन अदालतों को केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा और निधि में प्रीसाइडिंग आफिसर, सहायक कर्मचारियों, विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे का ध्यान रखा जाएगा।
इसमें कहा है कि लोक अभियोजकों की अनुपलब्धता के कारण पोक्सो मामलों के तेजी से निपटारे में बाधा आ रही है, अभियोजन निदेशालय ने आदेश दिया है कि ऐसी स्थितियों में स्थानापन्न लोक अभियोजक मौजूद होने चाहिए।
इसमें दावा किया गया है कि हालांकि, यह व्यवस्था प्रभावी नहीं पाई गई, डायरेक्टोरेट आफ प्रॉसिक्यूशन ने प्रत्येक त्वरित सुनवायी अदालत और पोक्सो अदालत में अतिरिक्त लोक अभियोजकों के दो पदों के सृजन का एक प्रस्ताव भेजा।
इसमें दावा किया गया है कि इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि यह तर्कसंगत नहीं है।
एसोसिएशन ने कहा है कि वर्तमान में 55 त्वरित सुनवायी और पोक्सो अदालतें 37 लोक अभियोजकों के साथ काम कर रही हैं, जिससे अभियोजन पक्ष पर दबाव बढ़ने के साथ ही बलात्कार और पोक्सो के लंबित मामले बढ़ रहे हैं।
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