जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौतों की सीबीआई जांच के लिये याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब तलब

By भाषा | Updated: June 4, 2021 19:22 IST2021-06-04T19:22:33+5:302021-06-04T19:22:33+5:30

Reply sought from Centre, Delhi government on plea for CBI probe into deaths at Jaipur Golden Hospital | जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौतों की सीबीआई जांच के लिये याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब तलब

जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौतों की सीबीआई जांच के लिये याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब तलब

नयी दिल्ली, चार जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कथित कमी के चलते अप्रैल में यहां जयपुर गोल्डन अस्पताल में कोविड के 21 मरीजों की मौत के मामले की सीबीआई से जांच के आग्रह वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को शुक्रवार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्रीय गृह एवं स्वास्थ्य मंत्रालयों और दिल्ली सरकार से याचिका पर 20 अगस्त तक अपने-अपने जवाब देने को कहा है। यह याचिका 23 अप्रैल और 24 अप्रैल की दरम्यानी रात को जान गंवाने वाले कुछ मरीजों के परिवारों ने दायर की है।

अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वह उन परिवारों का कैसे ख्याल रखेगी जिनके कमाने वाले सदस्यों की मौत हो गई या जो बच्चे अनाथ हो गए।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ऐसे परिवारों के कल्याण या काउंसलिंग के लिए कुछ योजनाएं हैं और उन्हें अदालत के समक्ष रखने के लिए कुछ समय मांगा।

अधिवक्ता उत्सव बैंस के जरिए दायर याचिका में दलील दी गई कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण सांस लेने में तकलीफ के चलते हुई न कि अन्य गंभीर बीमारियों के चलते जैसा कि दिल्ली सरकार की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि समिति ने “गलत” रिपोर्ट दी है कि जिन लोगों की मौत हुई वे ऑक्सीजन नहीं मिलने से दम घुटने से नहीं मरे हैं।

याचिका में समिति की रिपोर्ट निरस्त करने और सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा इन मौतों की जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है ताकि, ‘‘सच सामने आ सके और मृतकों एवं उनके परिवारों के साथ न्याय हो’’ तथा उनको मुआवजा दिया जाए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि घटना ‘‘मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में प्रतिवादियों (केंद्र, दिल्ली सरकार और अस्पताल) की जानबूझकर दिखाई गई निष्क्रियता और विफलता के कारण” हुई, यह जानते हुए भी कि किसी भी तरह की ऑक्सीजन की कमी उनकी तत्काल मृत्यु का कारण बनेगी।

याचिका में कहा गया कि नतीजन, “प्रतिवादियों ने न सिर्फ मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए खुद को उत्तरदायी ठहराने से बचाया है बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए आपराधिक अभियोग से भी बच निकले हैं।”

समिति की रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए, याचिका में दावा किया गया कि यह दिल्ली सरकार के पक्ष में तैयार की गई है और उसका जांच परिणाम कि मृतकों को किसी प्रकार की ऑक्सीजन थेरेपी दी जा रही थी, यह अदालत को गुमराह करने के लिए है।

इसमें दावा किया गया, “समिति ने अस्पताल में ऑक्सीजन की मांग एवं आपूर्ति के मुद्दे का आकलन नहीं किया और न ही मृतकों के परिवारों के बयान रिकॉर्ड किए।”

याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी है कि अस्पताल ने कमी के बारे में परिवार को भी सूचित नहीं किया, नहीं तो वे कम से कम उच्च प्रवाह वाले ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करते और इससे उनके प्रियजनों की जान बच जाती।

इसमें यह भी दलील दी गई कि ज्यादातर मरीज स्वस्थ हो रहे थे क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य में सुधार के बारे में नियमित रूप से अपने परिवारों को सूचित कर रहे थे।

याचिका में कहा गया कि केंद्र, दिल्ली सरकार और अस्पताल का “कानूनी और नैतिक दायित्व था कि वे सुनिश्चित करें कि कोई भी ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं मरे और इसलिए उन्हें मृतकों के परिवारों को मुआवजा देना चाहिए।

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Web Title: Reply sought from Centre, Delhi government on plea for CBI probe into deaths at Jaipur Golden Hospital

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