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कृषि कानूनों को 26 नवंबर तक रद्द करें, नहीं तो दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन तेज़ किया जाएगा: टिकैत

By भाषा | Updated: November 1, 2021 19:11 IST

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गाजियाबाद, एक नवंबर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि केंद्र के पास विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए 26 नवंबर तक का वक्त है और इसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को तेज़ किया जाएगा।

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा। इन प्रदर्शनों की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) कर रहा है, जिसमें किसानों के कई संगठन शामिल हैं। बीकेयू भी एसकेएम में शामिल है और उसके समर्थक दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाज़ीपुर में धरना दे रहे हैं।

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने ट्वीट किया, “ केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है। उसके बाद 27 नवंबर से किसान गांवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुंचेंगे और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन और आंदोलन स्थल को मजबूत करेंगे।”

बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने कहा कि "काले कानूनों" के खिलाफ प्रदर्शन तब तक वापस नहीं लिये जाएंगे, जब तक कि कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “ मोदी सरकार आज कानून वापस ले सकती है और प्रदर्शन खत्म हो जाएगा। अगर कानूनों को निरस्त नहीं किया गया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी सुनिश्चित नहीं की गई, तो प्रदर्शन जारी रहेगा।”

वहीं गाज़ीपुर में सोमवार को तंबुओं में सैकड़ों लोग मौजूद थे। दिल्ली पुलिस ने पिछले शुक्रवार को गाज़ीपुर में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (राष्ट्रीय राजमार्ग-9) पर लगाए गए बैरिकेड हटाने शुरू कर दिए थे। ये बैरिकेड प्रदर्शनकारियों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए लगाए गए थे।

उच्चतम न्यायालय ने 21 अक्टूबर को कहा था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चितकाल तक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते।

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों-- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को रद्द करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानून बनाए।

केंद्र और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला है। केंद्र सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं, जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ये कानून उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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