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कृषि कानूनों का निरस्त होना देश की जीत, चर्चा से डर गई सरकार: कांग्रेस

By भाषा | Updated: November 29, 2021 22:04 IST

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर कांग्रेस ने सोमवार को संसद में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी विधेयक को चर्चा के बिना पारित किए जाने को ‘किसान, मजदूरों और देश’ की जीत करार दिया और साथ ही, सरकार पर चर्चा से डर जाने का आरोप लगाया।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि इस सरकार पर कुछ ऐसे लोगों के समूह का कब्जा है जो गरीब विरोधी है तथा किसानों-मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि अब सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत किसानों की अन्य मांगें भी स्वीकार करनी चाहिए।

राहुल गांधी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने कहा था कि तीनों काले कानून को वापस लेना पड़ेगा। हमें मालूम था कि तीन-चार बड़े पूंजीपतियों की ताकत देश के किसानों के सामने टिक नहीं सकती। यही हुआ कि तीनों कानूनों को निरस्त करना पड़ा। यह किसानों और मजदूरों की सफलता है, एक प्रकार से देश की सफलता है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि ये कानून जिस प्रकार से बिना चर्चा के रद्द किए गए, वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है और सरकार ने गलत काम किया है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘700 किसान भाइयों ने जान दी, उनके बार में चर्चा होनी थी। चर्चा इस बारे में भी होनी थी कि इन कानूनों के पीछे कौन सी ताकत थी, ये क्यों बनाए गए? एमएसपी और किसानों को दूसरी समस्याओं, लखीमपुर खीरी और गृह राज्य मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को लेकर चर्चा होनी थी। सरकार ने यह नहीं होने दिया।’’

उनके मुताबिक, ‘‘सरकार थोड़ा भ्रम में है। वह सोचती है कि किसान और मजदूर गरीब हैं, उन्हें दबाया जा सकता है। लेकिन इस घटनाक्रम ने दिखाया है कि किसानों और मजदूरों को दबाया नहीं जा सकता।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट किया, ‘‘किसान आंदोलन में 700 किसान शहीद हुए, उनकी शहादत के बारे में आज संसद में एक लफ़्ज नहीं कहा गया, न श्रद्धांजलि देकर आदर किया गया।अनगिनत किसानों के संघर्ष और शहादत ने हमें आज़ादी दिलाई जिससे हमें संविधान मिला।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘किसान क़ानूनों, एमएसपी की मांग और लखीमपुर नरसंहार की चर्चा किए बगैर संसद की कार्यवाही चलाई गई। नरेंद्र मोदी जी आपकी बातें खोखली हैं, आप किसानों के हमदर्द नहीं हैं, आप वोटों के हमदर्द हैं।’’

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि उसे एक साल तीन महीने बाद ज्ञान प्राप्त हुआ। साथ ही उन्होंने दावा किया कि हाल में हुए उपचुनाव के परिणामों के कारण सत्तारूढ़ दल को यह कानून वापस लेने का कदम उठाना पड़ा।

उन्होंने इन तीनों कानूनों को खत्म करने के लिए निरसन विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराने का कड़ा विरोध किया।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं और सरकार चर्चा से डर गई।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘ कृषि विरोधी तीनों काले क़ानूनों को ना पारित करते चर्चा हुई, न ख़त्म करते हुए चर्चा हुई। क्योंकि चर्चा होती तो…हिसाब देना पड़ता, जवाब देना पड़ता… खेती को मुट्ठी भर धन्ना सेठों की ड्योढ़ी पर बेचने के षड्यंत्र का.... 700 से अधिक किसानों की शहादत का.... फसल का एमएसपी न देने का।’’

शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को संसद ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी।

करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द करना थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को इन कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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