प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का निधन

By भाषा | Updated: May 21, 2021 20:08 IST2021-05-21T20:08:40+5:302021-05-21T20:08:40+5:30

Renowned environmentalist and leader of Chipko movement Sundarlal Bahuguna passed away | प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का निधन

प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का निधन

देहरादून, 21 मई प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को एम्स ऋषिकेश में कोविड 19 से निधन हो गया । वह 94 वर्ष के थे । उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री हैं ।

एम्स प्रशासन ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था जहां ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी । चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका ।

दोपहर बाद ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर बहुगुणा की पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गयी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सहित अनेक हस्तियों ने बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है ।

प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में उनके निधन को देश के लिए एक बड़ी क्षति बताया और कहा कि प्रकृति के साथ सदभाव से जीने के हमारे सदियों पुराने स्वभाव को उन्होंने जीया । बहुगुणा के परिवार और उनके चाहने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सादगी और दया की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।

मुख्यमंत्री रावत ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद् के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि चिपको आंदोलन को जन—जन का आंदोलन बनाने वाले बहुगुणा का निधन न केवल उत्तराखंड और भारत बल्कि समस्त विश्व के लिये अपूरणीय क्षति है । उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक सरोकारों व पर्यावरण के क्षेत्र में आई इस रिक्तता को कभी नहीं भरा जा सकेगा ।’’

राज्यपाल बेबीरानी ने अपने शोक संदेश में बहुगुणा को 'हिमालय का रक्षक' बताते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है । उन्होंने कहा कि उनका निधन संपूर्ण देश और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है । उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण संरक्षण को समर्पित उनका जीवन और सिद्धांत विश्वभर में पर्यावरण हितैषियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा ।’’

टिहरी जिले में नौ जनवरी, 1927 को जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है । उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी ।

पद्मविभूषण सहित कई पदकों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढचढ कर विरोध किया जिसके लिए उन्होंने 84 दिन लंबा उपवास भी रखा था । एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था । टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा । उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया । टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा । वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी रहे ।

गांधीवादी विचारधारा के पोषक बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं । वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर विरोधी रहे ।

बहुगुणा के निधन पर एक अन्य प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडीप्रसाद भट्ट ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है । उन्होंने कहा, ‘‘वह एक प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता थे जिनका जाना हम सभी के लिए दुखदाई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Renowned environmentalist and leader of Chipko movement Sundarlal Bahuguna passed away

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे