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प्रख्यात द्विभाषी लेखक मनोज दास का निधन: राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री ने शोक व्यक्त किया

By भाषा | Updated: April 28, 2021 15:59 IST

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पुडुचेरी/नयी दिल्ली, 28 अप्रैल प्रख्यात द्विभाषी लेखक और स्तंभकार मनोज दास का उम्र संबंधी बीमारियों के चलते पुडुचेरी के अरविंदो आश्रम में मंगलवार को निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दास के निधन पर बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई शख्सियतों ने शोक व्यक्त किया।

दास ने उड़िया और अंग्रेजी भाषा में कई रचनाएं की थी और शिक्षा एवं दर्शन में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से ट्वीट में कहा, ‘‘गल्प लेखन के तौर पर उनका उच्च व्यक्तित्व, उनकी सरलता, आध्यात्मिकता ने उन्हें अलग पहचान दी।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मनोज दास का निधन अंग्रेजी एवं उड़िया लेखन की दुनिया को बड़ी क्षति है।’’

कोविंद ने कहा कि पद्म भूषण से सम्मानित दास को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ‘‘उनके परिजनों एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दास के निधन पर शोक जताया और कहा कि अंग्रेजी और उड़िया साहित्य के लिए उन्होंने अमूल्य योगदान दिया।

मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मनोज दास ने खुद को एक जानेमाने शिक्षाविद, लोकप्रिय स्तंभकार और उत्कृष्ट लेकर के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अंग्रेजी और उड़िया साहित्य में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने श्री अरविंदो के विचार को आगे बढ़ाया।’’

उपराष्ट्रपति नायडू ने भी दास के निधन पर शोक व्यक्त किया।

उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू के हवाले से ट्वीट में कहा, ‘‘यह जानकर दुखी हूं कि जाने माने लेखक, दार्शनिक एवं शिक्षाविद मनोज दास नहीं रहे।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उनके जाने से उड़िया साहित्य के क्षेत्र में बड़ा शून्य पैदा हो गया है। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।’’

दास वर्ष 1963 से ही अरविंदो आश्रम से जुड़े हुए थे और यहां पर अंतरराष्ट्रीय शिक्षा केंद्र में अरविंदो दर्शन पढ़ाते थे।

सूत्रों ने बताया कि दास विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर निर्भिक होकर लिखते थे।

पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने दास के निधन को साहित्य जगत के लिए आपूरणीय क्षति करार दिया। उन्होंने कहा कि दास ने शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में पुडुचेरी का नाम रोशन किया और यहां का मान बढ़ाया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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