सुधार, आचार और तकनीक से युक्त पुलिस व्यवस्था वक्त की जरूरत : न्यायमूर्ति पी सी पंत

By भाषा | Updated: October 3, 2021 12:08 IST2021-10-03T12:08:30+5:302021-10-03T12:08:30+5:30

Reform, ethics and technology equipped policing is the need of the hour: Justice PC Pant | सुधार, आचार और तकनीक से युक्त पुलिस व्यवस्था वक्त की जरूरत : न्यायमूर्ति पी सी पंत

सुधार, आचार और तकनीक से युक्त पुलिस व्यवस्था वक्त की जरूरत : न्यायमूर्ति पी सी पंत

नयी दिल्ली, तीन अक्तूबर छत्तीसगढ़ में पूर्व पुलिस महानिदेशक के मामले में उच्चतम न्यायालय की हालिया व्यवस्था तथा उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कानून व्यवस्था के नाम पर पुलिस द्वारा अधिकारों के कथित दुरूपयोग, लोगों को प्रताड़ित करने एवं फर्जी मुठभेड़ों के बढ़ते मामलों की खबरों पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के सवाल उठाने के बीच देश में पुलिस सुधारों को अक्षरश: लागू करने की मांग भी तेज हो गई है।

इन विषयों पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पी सी पंत से ‘‘भाषा के पांच सवाल’’ और उनके जवाब :

सवाल : छत्तीसगढ़ मामले में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था एवं कई राज्यों में पुलिस की कथित लचर कार्यशैली के मद्देनजर आज किस प्रकार के पुलिस सुधार की जरूरत है ?

जवाब : कोई भी व्यवस्था, कानून या नियम अनंत काल के लिये नहीं होते हैं। इनमें समय के साथ सुधार जरूरत होता है, चाहे शासन तंत्र हो, पुलिस बल हो, कार्यपालिका हो या न्यायपालिका हो। संविधान में अनुच्छेद 368 में प्रावधान रखा गया है जिसमें संसद को संविधान संशोधन करने का अधिकार दिया गया है। इस व्यवस्था का कल्याण योजनाओं सहित सुधारों के लिये उपयोग किया जा रहा है जो प्रभावी भी है।

हमें यह समझना होगा कि कोई भी व्यवस्था पुराने कानून या नियमों के अनुसार चले और पुलिस औपनिवेशिक ढर्रे का अनुसरण करे तब वह प्रभावी नहीं होगी। ऐसे में समय के साथ बदलाव और सुधार समय की मांग है। पुलिस सुधार के बारे में साल 2006 में उच्चतम न्यायालय ने 12 सूत्री पुलिस सुधार पूरे देश में लागू करने का दिशानिर्देश जारी किया था। परंतु आज तक केवल कुछ ही राज्य सरकारों ने दिखावे के लिए कुछ किया है ।

सवाल : पिछले दशक में पुलिस के खिलाफ बल प्रयोग एवं नियमों के दुरूपयोग की शिकायतें बढ़ने की खबरें सामने आई हैं। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?

जवाब : पुलिस का मुख्य कार्य कानून एवं व्यवस्था का अनुपालन है और पुलिस राज्य सूची का विषय है। पुलिस के खिलाफ सबसे अधिक शिकायतें आपराधिक मामलों से निपटने, साक्ष्य जुटाने सहित अन्य विषयों को लेकर हिरासत में प्रताड़ित करने के संबंध में आती हैं। साक्ष्य जुटाने के लिये हिरासत में प्रताड़ित करने या थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करने जैसा कोई प्रावधान नहीं है तथा यह कानून का दुरूपयोग है। वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत पुलिस के समक्ष दिये गए बयान को स्वीकारोक्ति नहीं मान लिया जाता है।

सवाल : भारत जैसे बड़े देश में पुलिस को कामकाज सहित कई अन्य दबाव का सामना करना पड़ता है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?

जवाब : पुलिस बलों में बड़ी संख्या में रिक्तियां होने से यह समस्या और बढ़ जाती है। पुलिस कर्मियों पर अपराध को रोकना और अपराध के खिलाफ कार्रवाई करना, उग्रवाद, दंगा नियंत्रण सहित आंतरिक सुरक्षा तथा कानून एवं व्यवस्था बहाल रखना तथा यातायात प्रबंधन, आपदा बचाव और अवैध कब्जे को हटाने जैसी जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा व्यवस्थागत एवं राजनीतिक दबाव भी रहता है।

बेहतर पुलिस व्यवस्था के लिये उसे राजनीतिक दबाव से पूरी तरह से मुक्त किये जाने की जरूरत है, अन्यथा न तो सही व्यवस्था बनेगी और न ही पारदर्शिता से कामकाज हो सकेगा।

सवाल : पुलिस सुधारों को लागू करने के लिये सभी प्रदेशों में बुनियादी स्तर पर किस तरह के बदलाव की जरूरत है?

जवाब : सर्वप्रथम पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि की दर और उनके द्वारा कानून का पालन न करने के परिणामस्वरूप मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। एक जनसांख्यिकीय क्षेत्र में शिकायतों की संख्या के अनुपात में पुलिस कर्मियों और पुलिस स्टेशनों की संख्या में वृद्धि करना जरूरी है। सहानुभूतिपूर्ण कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में सामाजिक कार्यकर्ताओं और मनोवैज्ञानिकों को शामिल करना जरूरी है। साथ ही व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठयक्रम शुरू किया जाना चाहिए जिसमें खास तौर पर लैंगिक संवेदनशीलता, बाल अधिकार, मानवाधिकार और अपराध के पीड़ितों के पुनर्वास पर ध्यान दिया जाना चाहिए ।

सवाल : भारत में मानवीय दृष्टिकोण से युक्त पुलिस व्यवस्था में बड़ी बाधा क्या है और आगे बढ़ने का रास्ता क्या है ?

जवाब : भारत में राजनीतिक तंत्र में पुलिस बलों के नियंत्रण की शक्ति है ताकि उनकी जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने टिप्पणी की थी कि इस शक्ति का दुरुपयोग किया जाता है।

भारत जैसे विशाल और बड़ी जनसंख्या वाले देश में पुलिस बलों को कर्मियों, हथियारों, फोरेंसिक, संचार औऱ परिवहन के साधनों से अच्छी तरह से लैस होना चाहिए ताकि वे अपनी भूमिका कुशलतापूर्वक निभा सकें। इसके अतिरिक्त उन्हें पेशेवर तरीके से जिम्मेदारियों को निभाने के लिए कार्य संबंधी स्वतंत्रता और कार्य की संतोषजनक स्थितियां मिलनी चाहिए, जबकि खराब प्रदर्शन या शक्ति के दुरुपयोग के लिए उन्हें जवाबदेह माना जाना चाहिए।

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Web Title: Reform, ethics and technology equipped policing is the need of the hour: Justice PC Pant

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