राज्यों के कर हिस्से में कटौती वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत : गहलोत

By भाषा | Updated: November 9, 2021 12:22 IST2021-11-09T12:22:57+5:302021-11-09T12:22:57+5:30

Reduction in tax share of states contrary to spirit of financial federalism: Gehlot | राज्यों के कर हिस्से में कटौती वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत : गहलोत

राज्यों के कर हिस्से में कटौती वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत : गहलोत

जयपुर, नौ नवंबर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के कर हिस्से में लगातार कमी किए जाने को वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत बताया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि पेट्रोल तथा डीजल पर केंद्रीय पूल के अतिरिक्त उत्पाद शुल्क एवं विशेष उत्पाद शुल्क को और कम किया जाए, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके।

इसके साथ ही गहलोत ने राज्य की बकाया जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) पुनर्भरण राशि का शीघ्र भुगतान करने की भी मांग की है।

यहां जारी एक बयान के अनुसार, गहलोत ने पत्र में लिखा कि केंद्र सरकार ने 2016 से पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले मूल उत्पाद शुल्क को कम कर राज्यों के साथ साझा किये जाने वाले हिस्से को लगातार घटाया है तथा विशेष एवं अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, जिसका कोई हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता, उसे लगातार बढ़ाया गया है।

गहलोत ने कहा कि अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में वृद्धि और कृषि अवसंरचना विकास उपकर का लाभ केवल केन्द्रीय राजस्व को मिल रहा है, जबकि विभाज्य पूल में आने वाली मूल उत्पाद शुल्क में उत्तरोत्तर कमी की गई है और इससे राज्यों को मिलने वाले करों के हिस्से में कमी आई है। उन्होंने कहा कि राज्यों के हिस्से में लगातार की जा रही कमी वित्तीय संघवाद (फिस्कल फेडरेलिज्म) के सिद्धांतों के विपरीत है।

मुख्यमंत्री ने मोदी से आग्रह किया कि आमजन को राहत देने के लिए कि केंद्र सरकार पेट्रोल एवं डीजल पर केंद्रीय पूल के अतिरिक्त उत्पाद शुल्क एवं विशेष उत्पाद शुल्क को और कम करे, ताकि आमजन को उत्पाद शुल्क एवं मूल्य वर्धित कर (वैट) में कमी का लाभ एक साथ मिल सके। उन्होंने तेल कम्पनियों को पेट्रोल-डीजल के मूल्य में निरन्तर वृद्धि पर रोक लगाने के लिए पाबंद करने का भी आग्रह करते हुए कहा कि तेल कम्पनियों द्वारा रोज-रोज की जाने वाली बढ़ोतरी से केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा आमजन को दी गई राहत का लाभ शून्य हो जाएगा।

उन्होंने लिखा, ‘‘हमारी अपेक्षा है कि केन्द्र सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में अतिरिक्त 10 रूपये प्रति लीटर एवं डीजल पर अतिरिक्त 15 रूपये प्रति लीटर की कमी करे। केन्द्र द्वारा उत्पाद शुल्क कम करने पर राज्य के वैट में भी पेट्रोल पर 3.4 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 3.9 रूपये प्रति लीटर आनुपातिक रूप से स्वतः ही कम हो जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप राज्य के राजस्व में 3,500 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष की अतिरिक्त हानि होगी जिसे राज्य सरकार जनहित में वहन करने के लिये तैयार है।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में निर्वाचित सरकारों को प्रदेश के विकास एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने होते हैं। आमजन तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने में राज्यों की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक परिदृश्य एवं स्थानीय परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है। इन परिस्थितियों में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए आवश्यक राजस्व संग्रहण के लिए कर लगाना राज्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार है।

उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान छह मई, 2020 को केन्द्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये एवं डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद कर बढ़ाया था। चार नवम्बर, 2021 से पेट्रोल पर पांच रुपये एवं डीजल पर 10 रुपये कम कर जनता को राहत देने की बात की जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि वर्ष 2021 में ही पेट्रोल की कीमत करीब 27 रुपये एवं डीजल की कीमत करीब 25 रुपये बढ़ी। उन्होंने कहा कि अत्यधिक बढ़ाए गए अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में से केवल कुछ छूट दी गई। ऐसे में, केन्द्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में की गई कटौती अपर्याप्त प्रतीत होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के कुल राजस्व का 22 प्रतिशत से अधिक पेट्रोल-डीजल के वैट से आता है। वैट में कमी के रूप में राजस्थान सरकार 29 जनवरी, 2021 से अब तक लगभग तीन रूपये प्रति लीटर पेट्रोल पर तथा 3.8 रूपये प्रति लीटर डीजल पर कम कर चुकी है। इससे राज्य के राजस्व में 2,800 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष की हानि हो रही है। कोरोना वायरस के कारण इस वित्त वर्ष में राज्य के राजस्व में अक्टूबर तक 20 हजार करोड़ रूपये की कमी आई है। उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा राज्य को 5,963 करोड़ रूपये का जीएसटी पुनर्भरण उपलब्ध नहीं कराना भी इसका एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में भी हमारी सरकार ने कुशल वित्तीय प्रबन्धन से प्रदेश में विकास की गति को कम नहीं होने दिया। राज्य सरकार जन घोषणा तथा बजट में किये वादों को समयबद्ध रूप से पूरा करने के लिये तत्पर है।’’

गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य की बकाया जीएसटी पुनर्भरण राशि का शीघ्र भुगतान किया जाए एवं जीएसटी पुनर्भरण की अवधि 2027 तक बढ़ाई जाए।

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Web Title: Reduction in tax share of states contrary to spirit of financial federalism: Gehlot

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