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वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन के लिए तैयार हैं: ‘आप’ सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: November 15, 2021 16:36 IST

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नयी दिल्ली, 15 नवंबर ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के मकसद से पूर्ण लॉकडाडन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है, यदि इसे पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लागू किया जाता है।

दिल्ली सरकार ने एक शपथ पत्र में कहा, ‘‘जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) स्थानीय उत्सर्जन को काबू करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है। बहरहाल, यह कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है। दिल्ली के छोटे आकार को देखते हुए इस लॉकडाउन का वायु गुणवत्ता पर बहुत सीमित प्रभाव पड़ेगा।’’

सरकार ने कहा, ‘‘इस मुद्दे को एनसीआर क्षेत्रों से जुड़े एयरशेड (वातावरण का वह हिस्सा, जो उत्सर्जन के फैलने के हिसाब से व्यवहार करता है) के स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर यदि भारत सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए इसका आदेश देता है, तो हम इस कदम पर विचार करने के लिए तैयार हैं।’’

दिल्ली सरकार ने यह शपथ पत्र पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका की याचिका के जवाब में दाखिल किया है। इस याचिका में छोटे और सीमांत किसानों को पराली समाप्त करने वाली मशीनें नि:शुल्क मुहैया करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर सभी स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण संस्थानों, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण संस्थानों, अन्य प्रशिक्षण संस्थानों और (जहां परीक्षाएं हो रही हैं, उन्हें छोड़कर) सभी पुस्तकालयों को 20 नवंबर, 2021 तक बंद करने का आदेश दिया गया है।

दिल्ली सरकार ने कहा, ‘‘सभी निजी कार्यालयों को अपने कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देने की सलाह दी गई है, ताकि 17 नवंबर, 2011 तक सड़कों पर वाहनों की कम से कम आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।’’

उसने प्रतिवेदन दिया कि पिछले कई वर्षों में फरवरी से सितंबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में नहीं जाता है।

दिल्ली सरकार ने कहा, ‘‘नवंबर 2021 में महीने के पहले 13 दिन में सात गंभीर (वायु गुणवत्ता वाले) दिन देखे गए और पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में भी इस दौरान वृद्धि हुई। दोनों राज्यों में पराली जलाए जाने की प्रतिदिन औसतन 4,300 घटनाएं हुईं।’’

आप सरकार ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए कनॉट प्लेस में बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर एक ‘स्मॉग टावर’ 23 अगस्त, 2021 को स्थापित और चालू किया गया।

उसने कहा, ‘‘दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10 के वार्षिक संकेद्रण के आधार पर नरेला, बवाना, मुंडका, वजीरपुर, रोहिणी, आर के पुरम, ओखला, जहांगीरपुरी, आनंद विहार, पंजाबी बाग, मायापुरी, विवेक विहार और द्वारका नामक 13 मुख्य केंद्रों (हॉटस्पॉट) की पहचान की गई और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष न्यूनीकरण कदम उठाए जा रहे हैं।’’

दिल्ली सरकार ने बताया कि 15 साल पुराने पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं, निर्माण स्थलों और ध्वस्त की जा रही इमारतों की सख्ती से जांच की जा रही है और उद्योगों की निगरानी की जा रही है, ताकि वे केवल स्वीकृत ईंधन का ही इस्तेमाल करें। उसने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी शीर्ष अदालत को दी।

शपथ पत्र में कहा गया है कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करना और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए आवश्यक अवसंचना स्थापित करना है। ‘आप’ सरकार ने बताया कि दिल्ली में यात्री ई-रिक्शा का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार के अनुसार दिल्ली के मोहल्लों में कूड़ा जलाए जाने पर नजर रखने के मकसद से दिन-रात गश्त करने के लिए 250 से अधिक दल तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, सड़क पर धूल को नियंत्रित करने और इसके प्रबंधन के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने बताया कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए जन भागीदारी से ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ मुहिम शुरू की है।

न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को शनिवार को ‘आपात’ स्थिति करार दिया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया। न्यायालय ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं।

न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं। पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के लिये सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूल जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं।

न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई थी कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और बच्चों को गंभीर प्रदूषण के बीच बाहर निकलना पड़ रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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