सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को दी अयोध्या की विवादित जमीन, मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 9, 2019 11:57 IST2019-11-09T11:20:02+5:302019-11-09T11:57:23+5:30

Ram Janmabhumi Babri Masjid Verdict: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस पर फैसला सुनाया।

Ram Janmabhumi Babri Masjid Verdict in hindi Supreme Court 5 judge bench gave disputed land to hindus highlights | सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को दी अयोध्या की विवादित जमीन, मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को दी अयोध्या की विवादित जमीन, मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला

Highlightsइस मामले की 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया।सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह फैसला 5-0 के एकमत से सुनाया गया है।

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया। फैसले के मुताबिक अयोध्या की विवादित जमीन राम लला विराजमान को दी जाएगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड की मस्जिद के लिए अयोध्या में पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाएगी। इस संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

Ayodhya Verdict: संविधान पीठ ने अब तक क्या-क्या कहाः-

- सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश दिया। यह जमीन अयोध्या में किसी अच्छी जगह पर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया।

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ASI के निष्कर्षों से साबित होता है कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था। लेकिन ASI यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मस्जिद को ध्वस्त करके किया गया था।

- सीजेआई गोगोई ने कहा, 'हम 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन को खारिज करते हैं।'

- सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर तकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं।

- सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसने देरी से याचिका दायर की थी।

- सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।'

इस मामले की 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये विवाद अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन के लिए है, जिस पर हिंदू पक्ष राम जन्म भूमि होने का दावा करते रहे हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां हमेशा से बाबरी मस्जिद थी।

यह फैसला किसी की हार जीत नहींः पीएम मोदी

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला आएगा, वह किसी की हार-जीत नहीं होगा। उन्होंने कहा देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे।

उन्होंने कहा, "देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं। कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है।"

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले उत्तर प्रदेश में हालात सामान्य रखने के लिए कड़ी चौकसी बरती गई है। राज्य में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और सोशल मीडिया पर खास नजर रखी जा रही है। अयोध्या को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वहीं, आसपास के इलाकों में अवरोधक लगाए गए हैं। इसके अलावा लोगों से शांति की दरख्वास्त करने के लिए धर्म गुरुओं की मदद ली गई है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के लोगों से अपील की है कि वह अदालत के निर्णय को हार जीत के साथ जोड़कर ना देखें। उन्होंने कहा कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि प्रदेश में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण को हर हाल में बनाए रखा जाए। योगी ने यह भी कहा है कि प्रशासन सभी की सुरक्षा और प्रदेश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर कोई व्यक्ति कानून के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट ने 2010 में सुनाया था फैसला

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों, रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अयोध्या विवादित स्थल पर हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर मुस्लिमों, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़े का संयुक्त मालिकाना हक है। हाईकोर्ट ने इसे तीन पक्षों में बराबर बांट दिया था। इसका नक्शा कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त शिवशंकर लाल ने तैयार किया था।

Web Title: Ram Janmabhumi Babri Masjid Verdict in hindi Supreme Court 5 judge bench gave disputed land to hindus highlights

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे