राजनाथ सिंह ने एक साथ 63 पुलों को किया राष्ट्र को समर्पित, सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा मजबूत कर रहा भारत
By अभिषेक पारीक | Updated: June 28, 2021 20:43 IST2021-06-28T20:39:39+5:302021-06-28T20:43:03+5:30
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती बुनियादी ढांचों में वृद्धि पर सरकार द्वारा जोर दिये जाने के तहत छह राज्यों एवं दो संघशासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित 63 पुलों को सोमवार को राष्ट्र को समर्पित किया।

राजनाथ सिंह। (फाइल फोटो )
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती बुनियादी ढांचों में वृद्धि पर सरकार द्वारा जोर दिये जाने के तहत छह राज्यों एवं दो संघशासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित 63 पुलों को सोमवार को राष्ट्र को समर्पित किया। तीन दिवसीय लद्दाख यात्रा पर पहुंचे सिंह ने लेह से 88 किलोमीटर दूर क्यूंगम में एक कार्यक्रम में इन पुलों का उद्घाटन किया।
इस कार्यक्रम में लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर, उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी तथा अन्य सैन्य एवं असैन्य अधिकारी मौजूद थे। अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , सिक्किम के मुख्यमंत्रियों ने भी डिजिटल तरीके से इस कार्यक्रम में भाग लिया।
अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख में लेह-लोमा मार्ग पर बने 50 मीटर लंबे पुल का उद्घाटन अहम है क्योंकि इससे सैनिकों एवं सैन्य उपकरणों को लाने में मदद मिलेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस एकल विस्तार इस्पात सुपरस्ट्रक्चर पुल, जिसने वर्तमान बेली पुल की जगह ली है, से बंदूकों, टैंकों और अन्य विशेष उपकरणों समेत भारी हथियार प्रणाली की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी। ’’
एक साथ कई पुल राष्ट्र को समर्पित
लेह-लोमा रोड चुमाथांग, हानली और त्सो मोरोई जैसे स्थानों को जोड़ती है तथा यह पूर्वी लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में पहुंचने के लिए अहम हैं। इसके अलावा सिंह ने डिजिटल तरीके से लद्दाख में 11, जम्मू कश्मीर में चार, हिमाचल प्रदेश में तीन, उत्तराखंड में छह, सिक्किम में आठ, नगालैंड और मणिपुर में एक-एक तथा अरूणाचल प्रदेश में 29 पुलों का उद्घाटन किया।
240 करोड़ की लागत आई
मंत्रालय ने बताया कि इन परियोजनाओं पर 240 करोड़ रूपये की लागत आयी और उनसे सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। रक्षा मंत्री ने खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुधारने के प्रति बीआरओ की कटिबद्धता की यह कहते हुए तारीफ की कि इनमें से कुछ पुल सुदूरवर्ती क्षेत्रों के गांवों के लिए जीवनरेखा बन जायेंगे।