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रजनीकांत: कुली और कंडक्टर से फिल्म जगत के सबसे करिश्माई अदाकार तक का सफर

By भाषा | Updated: April 1, 2021 18:33 IST

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नयी दिल्ली, एक अप्रैल फिल्म जगत में वैसे तो अनेक करिश्माई सितारे हैं किंतु रजनीकांत का स्थान उनमें सबसे अलग है क्योंकि आज भी उनके कई प्रशंसक उन्हें किसी देवता की तरह पूजते हैं। बाक्स आफिस पर उनकी सफलता की गाथा और उनके नाम पर आए दिन नये चुटकुले गढ़े जाना उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।

सरकार ने बृहस्पतिवार को इस मशहूर अदाकार को सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से विभूषित करने की घोषणा की।

सत्तर साल के अभिनेता को वास्तविक जीवन में कभी कृत्रिम तरीके से हुलिया नहीं बदलने और कम होते बालों को भी कभी नहीं छिपाकर सहजता से रहने के लिए जाना जाता है।

पहले कुली और फिर बस कंडक्टर के रूप में काम करते हुए रजनी फिल्मों तक पहुंचे और साल दर साल ‘एंथिरन’ और ‘काला’ जैसी अनेक फिल्में करते हुए दक्षिण भारत के बड़े स्टार बन गये।

उनके साथ सबसे खास बात यह है कि भले ही लोगों ने उनकी फिल्म नहीं भी देखी हो, फिर भी उनके अंदाज, उनके व्यक्तित्व के कायल हैं।

रजनीकांत की फिल्म के रिलीज होने के बाद पहले शो को देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर रात से ही दर्शकों की कतार लगने की तस्वीरें सभी ने देखी होंगी। उनके कुछ प्रशंसक उनके पोस्टरों को दूध में नहलाते तो कुछ उनके कटआउट पर फूलमालाएं लादते और मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करते तक देखे जाते रहे हैं।

अपने चाहने वालों के बीच ‘थलाइवा’ के नाम से मशहूर रजनीकांत की किसी नयी फिल्म की घोषणा हो या फिर उनका जन्मदिन, उनके प्रशंसकों के लिए त्योहार सा होता है। जापान से लेकर श्रीलंका तक उनके चाहने वालों की फौज है।

कई बार जब रजनीकांत की फिल्में समीक्षकों की ज्यादा वाहवाही नहीं भी लूट पातीं, तब भी उनका नाम बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को सफलता दिलाने के लिए काफी होता है।

पिछले करीब पांच दशकों से उनके नाम का डंका दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि बॉलीवुड में भी बज रहा है।

बेंगलुरू में एक मराठी परिवार में जन्मे रजनीकांत का मूल नाम शिवाजीराव गायकवाड़ है। वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

स्कूली दिनों से खेलों में रुचि रखने वाले रजनीकांत बेंगलुरू के रामकृष्ण मठ में नाटकों के मंचन में भाग लेते थे।

1956 में उनके पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद पूरा परिवार बेंगलुरू के हनुमंत नगर में आकर बस गया।

वहां रजनीकांत ने कुली के रूप में काम किया और फिर बेंगलोर परिवहन निगम की बसों में कंडक्टर के रूप में सेवाएं दीं।

इसके बाद उन्होंने अपने साथी चालक और दोस्त राज बहादुर के प्रोत्साहित करने पर मद्रास फिल्म संस्थान से अभिनय का पाठ्यक्रम किया और फिल्मी दुनिया के इस महान कलाकार की अभिनय यात्रा शुरू हुई।

जानेमाने तमिल फिल्म निर्देशक के. बालसचंद्र की सलाह पर रजनीकांत ने तमिल भाषा बोलना भी सीख लिया और उनकी 1975 में आई फिल्म ‘अपूर्व रंगांगल’ से फिल्मों में पदार्पण किया।

रजनी को पहली वास्तविक सफलता इसके अगले साल आई बालचंद्र की एक और फिल्म ‘मुंडरू मुडिचू’ से मिली।

शुरुआत में नकारात्मक किरदार अदा करने के बाद रजनीकांत ने ‘कविक्कुयिल’, ‘सहोदरारा सवाल’(कन्नड) और ‘चिलकम्मा चेप्पिंडी’ (तेलुगू) में सकारात्मक पात्रों का अभिनय किया।

1980 के आखिर तक वह दक्षिण भारत की सभी भाषाओं में काम कर चुके थे और तमिल सिनेमा में अपना नाम स्थापित कर चुके थे।

हिंदी फिल्मों में भी उनका सिक्का जमकर चला और ‘हम’, ‘अंधा कानून’, ‘चालबाज’, ‘भगवान दादा’ तथा ‘बुलंदी’ जैसी फिल्मों में उनके काम को जमकर सराहा गया।

सिगरेट और चश्मे अपने ही अंदाज में उछालने और पकड़ने की उनकी अदाकारी सिनेमाप्रेमियों के बीच उनकी पहचान बन गयी।

उनकी कुछ बड़ी फिल्मों में अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘डॉन’ की तमिल रीमेक ‘बिल्ला’, ‘एंथिरन’ (रोबोट) आदि फिल्में भी हैं।

रजनीकांत एक अभिनेता ही नहीं बल्कि फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक भी हैं।

उन्होंने 2002 में आई थ्रिलर फिल्म ‘बाबा’ बनाई थी जिसे भारी नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन जापान में यह फिल्म जमकर चली।

जब भी उनकी कोई फिल्म ज्यादा नहीं चली तो उन्होंने अगली बार बॉक्स ऑफिस पर जमकर वापसी की।

पिछले कुछ सालों में नये जमाने के फिल्म निर्देशकों एस शंकर, के एस रविकुमार, पा रंजीत और एआर मुरुगदास ने ‘शिवाजी: द बॉस’, ‘लिंगा’, ‘काला’ और ‘दरबार’ जैसी फिल्मों में अपने हिसाब से रजनीकांत के अभिनयी जादू को बाहर निकाला है।

रजनीकांत ने राजनीति में आने की भी घोषणा की थी लेकिन पिछले साल खराब सेहत के कारण चुनावी राजनीति में नहीं आने का फैसला किया।

इस समय वह ‘अन्नाती’ फिल्म पर काम कर रहे हैं।

रजनीकांत की दो बेटियां ऐश्वर्या आर धनुष और सौंदर्या रजनीकांत हैं। उनकी पत्नी लता रजनीकांत हैं।

ऐश्वर्या ने अपनी किताब ‘स्टैंडिंग ऑन ऐन ऐप्पल बॉक्स’ में लिखा है कि उनके पिता ने कभी सुपरस्टार की तरह बर्ताव नहीं किया।

रजनीकांत को फिल्म जगत के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मानों से भी नवाजा गया है और अब सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

उनसे पहले ए नागेश्वर राव, सत्यजीत रे, भूपेन हजारिका, शिवाजी गणेशन, के बालचंद्र, लता मंगेशकर, श्याम बेनेगल, गुलजार और अमिताभ बच्चन आदि को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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