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राम मंदिर के निर्माण में काम आने वाले विशेष पत्थर के खनन की अनुमति दे सकता है राजस्थान

By भाषा | Updated: November 19, 2020 20:02 IST

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जयपुर, 19 नवंबर राजस्थान के भरतपुर के जिला प्रशासन ने वन्यजीव अभ्यारण्य के एक हिस्से को अधिसूचना मुक्त कराने की पहल की है ताकि वहां उस विशेष गुलाबी बलुई पत्थर (पिंक सैंडस्टोन) के वैध खनन की अनुमति दी जा सके, जिसकी न केवल भवन निर्माण में बड़ी मांग है बल्कि जो अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के निर्माण में भी काम आ रहा है।

मंदिर निर्माण के लिये वर्षो से भरतपुर के बांसी पहाड़पुर से खनन किए गए हजारों टन गुलाबी बलुई पत्थर को अयोध्या भेजा गया हैं लेकिन इस पत्थर की अभी भी और अधिक आवश्यकता है।

अयोध्या में इस गुलाबी पत्थर की आपूर्ति की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।

मंदिर के निर्माण के लिये इस बलुई पत्थर के ब्लॉक कारीगरी के साथ पहले से ही तैयार है लेकिन इनके साथ कम ग्रेड के पत्थर का इस्तेमाल करने से समस्याएं पैदा हो सकती है।

धौलपुर में मिलने वाले इसी तरह के पत्थर और बांसी पहाडपुर के पत्थर में काफी फर्क माना जाता है।

राजस्थान सरकार के अधिकारियों ने हालांकि, भरतपुर के बांसी पहाडपुर के बैंड बारेठा वन्य जीव अभ्यारण्य के एक हिस्से को अधिसूचना मुक्त कराने की पहल का राम मंदिर से कोई संबंध होने से इंकार किया है।

विहिप नेता त्रिलोकी नाथ पांडे ने अयोध्या में पीटीआई—भाषा को बताया कि ‘‘राजस्थान सरकार ने पत्थर की आपूर्ति में कभी कोई परेशानी पैदा नहीं की। हालांकि भरतपुर जिले के बांसी पहाडपुर में वन और वन्यजीव अधिनियम के तहत कुछ तकनीकी समस्याएं थी। उसे अधिसूचना मुक्त कराने के लिये राजस्थान सरकार ने कदम उठाये है।’’

उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश की मायावती, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की पिछली सभी सरकारों ने राम मंदिर के निर्माण में काम आने वाली भवन सामग्री की निर्बाध आपूर्ति के लिये सहयोग किया है।

मंदिर परियोजना के वास्तुकार अनुभाई सोमपुरा ने बताया कि एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर पहले से ही उपलब्ध है और अभी भी दो लाख क्यूबिक फीट पत्थर की और आवश्यकता है।

भरतपुर जिला कलेक्टर नथमल डिडेल के अनुसार बांसी पहाडपुर ब्लाक को अधिसूचना मुक्त कराने के लिये शुरूआती कदम उठा लिये गये है ताकि वनभूमि क्षेत्र मुक्त करा कर वैध खनन की अनुमति दी जा सके।

उन्होंने बताया कि राजस्व, वन और खनन विभाग के अधिकारियों के दलों द्वारा प्रारंभिक सर्वे का काम कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रारंभिक सर्वे के बाद एक रिपोर्ट वन विभाग के मुख्य वन्य संरक्षक के पास भेजी जायेगी और उसके बाद उसे केन्द्र के पास अनुशंसा और स्वीकृति के लिये भेजा जायेगा।

उन्होंने बताया कि देशभर में पत्थर की बहुत अधिक मांग है और प्रक्रिया की शुरूआत इसलिये नहीं हो सकी क्योंकि राम मंदिर के लिये इसकी आवश्यकता थी।

जिला कलेक्टर ने बताया कि इस क्षेत्र में अवैध खनन लगातार हो रहा है। वहां कोई वन क्षेत्र नहीं बचा है ओर यदि इसे अभ्यारण से अलग कर दिया जाता है तो राज्य सरकार को खनन से राजस्व की प्राप्ति होगी।

जब राजस्थान के वन और पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला खनन विभाग से संबंधित है और उसने अभी तक वन विभाग के पास इसे नहीं भेजा है।

उन्होंने बताया कि हो सकता है कि सर्वे स्थानीय स्तर पर करवा लिया गया हो और यह अभी तक उनके विभाग तक स्वीकृति के लिये नहीं पहुंचा है।

खनन विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने बताया कि वे इस संबंध में कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है।

पिछले साल एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित अयोध्या स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ़ कर दिया था।

अयोध्या में इसी वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मंदिर के लिए भूमि पूजन समारोह का आयोजन किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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