अपने ही एकल न्यायाधीश के निर्देश को राजस्थान हाईकोर्ट ने दी चुनौती, न्यायालय ने लगाई रोक

By भाषा | Updated: May 25, 2021 21:33 IST2021-05-25T21:33:56+5:302021-05-25T21:33:56+5:30

Rajasthan High Court challenges its single judge's direction, court bans | अपने ही एकल न्यायाधीश के निर्देश को राजस्थान हाईकोर्ट ने दी चुनौती, न्यायालय ने लगाई रोक

अपने ही एकल न्यायाधीश के निर्देश को राजस्थान हाईकोर्ट ने दी चुनौती, न्यायालय ने लगाई रोक

नयी दिल्ली, 25 मई अपनी तरह के एक अनोखे मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय में अपने ही एक न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।

उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि तीन साल कैद तक की सजा के प्रावधान वाले अपराध में जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है उन्हें 17 जुलाई तक गिरफ्तार न किया जाए। न्यायालय ने हालांकि मंगलवार को न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी।

उच्च न्यायालय ने इस आधार पर आदेश को चुनौती दी थी कि इस निर्देश से “अराजकता की स्थिति बनेगी।”

राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने कानून के स्थापित सिद्धांतों की “अनदेखी” की कि मुख्य न्यायाधीश “कामकाज आवंटित करने में सर्वेसर्वा” (मास्टर ऑफ रोस्टर) होते हैं और “मुख्य न्यायाधीश बराबरी वाले सभी न्यायाधीशों में प्रथम हैं।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने जमानत याचिका पर विचार करते हुए “मुख्य न्यायाधीश के विशेष प्रशासनिक न्यायाधिकार में हस्तक्षेप” करके कानून के सिद्धांत, नियमों और परिपाटी का “त्रुटिवश उल्लंघन” किया।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने तीन साल की अधिकतम सजा के प्रावधान वाले अपराधों के आरोपियों को 17 जुलाई 2021 तक गिरफ्तार नहीं करने और उच्च न्यायालय व सत्र अदालतों के समक्ष अग्रिम जमानत याचिकाओं को सूचीबद्ध न करने के संदर्भ में तीन निर्देशों पर रोक लगा दी।

राजस्थान उच्च न्यायालय की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजन हंसारिया ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने एक बार फिर एक आदेश पारित किया था जो उचित नहीं था।

राजस्थान सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने इस दलील का समर्थन किया और कहा कि आदेश पर रोक लगाए जाने की आवश्यकता है।

पीठ ने दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं के बयानों को संज्ञान में लिया और याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले में सुनवाई की अगली तारीख छह हफ्ते बाद की तय की।

उच्च न्यायालय ने अपनी याचिका में कहा था, “यह बताया जाता है कि एकल न्यायाधीश ने त्रुटिवश एक व्यापक आदेश के तहत निर्देशित किया था कि अग्रिम जमानत याचिकाओं को उच्च न्यायालय और सत्र अदालतों के समक्ष सूचीबद्ध न किया जाए। एकल न्यायाधीश ने उन अपराधों के मामलों में भी आरोपियों को गिरफ्तार न करने का व्यापक निर्देश जारी किया जिनमें सजा का अधिकतम प्रावधान तीन वर्ष कैद का है या जिन अपराधों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कर सकते हैं। इससे अराजकता पैदा होगी।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि जिन मामलों में अधिकतम सजा का प्रावधान तीन वर्ष तक का है और जिन मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कर सकते हैं उन मामलों में सत्र अदालतों या उच्चतम न्यायालय के समक्ष ग्रीष्मावकाश के बाद अदालतों के खुलने तक अग्रिम जमानत याचिकाएं सूचीबद्ध न की जाएं।

याचिका में कहा गया कि एकल न्यायाधीश ने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया कि वह सभी अधिकारियों को यह निर्देशित करें कि वह उस आरोप में आरोपी को 17 जुलाई 2021 तक गिरफ्तार न करें जहां अधिकतम सजा का प्रावधान तीन वर्ष तक का है, या जिन मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।

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Web Title: Rajasthan High Court challenges its single judge's direction, court bans

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