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राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाली को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, सांसदी बहाली वाली अधिसूचना रद्द करने की मांग

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 5, 2023 16:38 IST

अपनी याचिका में वकील अशोक पांडे ने कहा है कि ‘एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों से बरी न कर दिया जाए।’

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ठळक मुद्देराहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती दी गईवकील अशोक पांडे ने याचिका दाखिल कीवायनाड सीट पर फिर से चुनाव कराने का निर्देश देने की भी मांग

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की  संसद सदस्यता की बहाली को सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती दी गई है। वकील अशोक पांडे ने एक याचिका दाखिल कर सर्वोच्च न्यायलय से लोकसभा सचिवालय की सांसदी बहाली वाली अधिसूचना रद्द करने की मांग की है।

अपनी याचिका में वकील अशोक पांडे ने कहा है कि ‘एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह  तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों से बरी न कर दिया जाए।’ याचिका में वकील पांडे ने ये भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को वायनाड सीट पर फिर से चुनाव कराने का निर्देश देना चाहिये।

बता दें कि मोदी सरनेम मामले में गुजरात की निचली अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर थी। राहुल ने राहत के लिए गुजात हाई कोर्ट में गुहार लगाई लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली। फिर कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी लेकिन उनको आरोपों से बरी नहीं किया था। दोषसिद्धि पर रोक के बाद राहुल की संसद सदस्यता बहाल हो गई और उन्होंने संसद के मानसून सत्र में हिस्सा भी लिया था। राहुल की सजा पर रोक को कांग्रेस ने लोकतंत्र की जीत और बीजेपी के मंसूबों की हार बताया था। 

हालांकि अब एक बार फिर से राहुल को लेकर दायर की याचिका के बाद ये मामला गर्माने की उम्मीद है। बता दें कि याचिका दाखिल करने वाले वकील अशोक पांडे लखनऊ के रहने वाले हैं। याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि सीआरपीसी की धारा 389 केवल अदालत को दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील सुनने की अनुमति देती है ताकि सजा को निलंबित किया जा सके और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जा सके। लेकिन, यह अदालत को दोषसिद्धि को निलंबित करने की अनुमति नहीं देती है। 

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