कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट में झारखंड के एक ही जिले में 10,000 आदिवासियों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज किये जाने के दावे पर कहा है कि ऐसी खबर से देश की चेतना हिल जानी चाहिए थी। राहुल ने ट्वीट कर कहा कि 2017 और 2018 के बीच झारखंड के इतने आदिवासियों के खिलाफ मामले को मीडिया में बड़ी जगह दी जानी चाहिए।
राहुल ने ट्वीट किया, 'किसी भी सरकार ने अगर 10,000 आदिवासियों पर 'राजद्रोह' कानून लगाया है जो राज्य के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ रहा है, तो ऐसे में हमारे देश की चेतना हिल जानी चाहिए और एक मीडिया में तूफान खड़ा हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमारी 'बिक चुकी' मीडिया भले ही अपनी आवाज खो चुकी है, एक नागरिक के तौर पर क्या हम ऐसा कर सकते हैं?'
राहुल ने अपने ट्वीट में एक मीडिया रिपोर्ट को टैग किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार रघुवर दास के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार ने पत्थलगड़ी आंदोलन में हिस्सा लेने के खिलाफ रांची से सटे खूंटी जिले में करीब 10,000 आदिवासियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला लगाया है।
बता दें कि 2017-18 में पत्थलगड़ी आंदोलन के तहत झारखंड में कई गांव के बाहर कई ऐसे पत्थर लगाये गये जिसमें लिखा था कि ग्राम सभा स्वायत्त ऑथोरिटी है। इस आंदोलन के चलते आदिवासी क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रदर्शन हुए थे। झारखंड में अब चुनाव होने हैं। ऐसे में कई बीजेपी नेता भी मान रहे हैं कि जो कदम उठाए गये उससे आदिवासियों में पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इसी साल खूंटी के एक गांव घाघड़ा में 100 गांव वालों ने होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया। एक गांव वाले ने बताया, 'वे हम पर विकास थोपना चाहते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि पहले हमसे बात हो। सरकार कहती है कि हम देशद्रोही है तो फिर हम वोट ही क्यों करें?
गौरतलब है कि 2018 में पत्थलगड़ी आंदोलन ने घाघड़ा गांव में ही हिंसक रूप ले लिया था। पिछले साल 26 जून को पुलिस ने आंदोलन के एक नेता को गिरफ्तार करने के लिए छापा मारा था लेकिन इसके बाद कई जिलों में प्रदर्शन हुए। झारखंड में पांच चरण में चुनाव होने हैं। पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को है जबकि आखिरी चरण की वोटिंग 20 दिसंबर को होगी।