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पुरी ने पोखरण के दौरान कलाम और मुलायम के बीच बातचीत में अपनी भूमिका को याद किया

By भाषा | Updated: October 16, 2021 23:22 IST

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नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर नौकरशाह से राजनेता बने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पोखरण-द्वितीय परीक्षणों के दौरान पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया और उनके तथा तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह के बीच बातचीत के दौरान एक “दुभाषिये” की भूमिका निभाई।

साल 1997 और 1999 के बीच रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य करने वाले पुरी ने शनिवार को यहां इंडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर में तीसरे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक व्याख्यान में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने भारत की रक्षा प्रणालियों और राष्ट्रीय सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव किया।

उन्होंने कहा कि कलाम ने बड़ी पेशेवर सफलताएं हासिल कीं, जिससे राष्ट्र को आकार देने और 21वीं सदी में इसकी दिशा तय करने में मदद मिली।

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री सिंह ने साथ ही कहा कि कलाम की ईमानदारी, बुद्धि और आकर्षण की व्यक्तिगत कहानी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इतने सारे भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया।

पुरी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव के रूप में उन्हें कलाम के साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य मिला, जो उस समय भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार थे।

उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवधि थी।

उन्होंने कहा, ''यह एक ऐसा दौर था जिसने भारत को वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख स्थान दिलाया और नयी सदी में हमारी विदेश नीति को निर्देशित किया।''

पुरी ने याद किया कि उस समय केंद्र सरकार पोखरण-द्वितीय परीक्षणों की तैयारी कर रही थी, जिन्हें अंततः मई 1998 में कलाम के संयुक्त नेतृत्व में अंजाम दिया गया।

उन्होंने कहा, ''एक सिविल और लोक सेवक के रूप में मुझे अपने जीवन में जितनी भी जिम्मेदारियां मिली हैं, उनमें से डॉ कलाम के साथ रक्षा मंत्रालय में काम करने का अनुभव एक मुख्य आकर्षण था।''

पुरी ने कहा कि कलाम ने पोखरण ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए उस 'ऑपरेशन शक्ति' को आकार देने में राजनीतिक, वैज्ञानिक और प्रशासनिक धाराओं के हितधारकों को बहुत चतुराई से संभाला था।

उन्होंने कहा कि इस दौरान मैंने डॉक्टर कलाम और मुलायम सिंह यादव के बीच बातचीत के दौरान ''दुभाषिये'' की भूमिका निभाई।

पुरी ने कहा, ''अगर मुलायम सिंह जी और डॉ कलाम एक कमरे में होते, तो मुझे यकीन रहता था कि उनके बीच बहुत अच्छी बातचीत होगी। लेकिन सच्चाई यह थी कि डॉ कलाम जी हिंदी नहीं बोलते थे और मुझे यकीन है कि मुलायम सिंह जी बहुत अच्छी अंग्रेजी बोलते थे, लेकिन वह इसके बजाय हिंदी चुनते थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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