नई दिल्ली: आज के दौर में जब देश में धर्म के नाम पर हिंसा और एक-दूसरे को लेकर आपत्तिजनक बातें तक कहे जाने जैसे मामले सामने आते रहे हैं, ऐसे में पंजाब से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करने वाली एक अद्भुत कहानी सामने आई है। यहां एक गांव में केवल 4 मुस्लिम परिवारों के मस्जिद निर्माण का काम शुरू हुआ है।
पंजाब के मोगा जिले के भूलर गांव में पहले ही 7 गुरुद्वारे और दो मंदिर स्थित हैं जबकि कोई मस्जिद नहीं था। गांव में रह रहे केवल 4 परिवारों के लिए मस्जिद बनाने का काम तो अनूठा है ही पर गांव वालों ने एक और बेहतरीन मिसाल रविवार को पेश कर दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दरअसल रविवार की सुबह जब भूलर गांव में मस्जिद के शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था, उसी दौरान बारिश होने लगी। ऐसे में कार्यक्रम को रोकना पड़ा। ग्रामीणों ने इसके बाद कार्यक्रम को पूरा करने के लिए एक रास्ता निकाला।
गुरुद्वारे के दरवाजे खोल दिए गए और वहां फिर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुछ ही घंटों में सिख और हिंदू समुदाय के ग्रामीणों ने कार्यक्रम की सारी तैयारियां की। वहां पर लंगर और जलेबी का इंतजाम किया गया था और मस्जिद निर्माण के काम के ठीक तरह से समापन के लिए अरदास (प्रार्थना) की गई।
विभाजन से पहले गांव में था एक मस्जिद
रिपोर्ट के मुताबिक सरपंच पाला सिंह ने बताया कि उनके गांव में सात गुरुद्वारे और दो मंदिर हैं, लेकिन एक भी मस्जिद नहीं है। 1947 में विभाजन से पहले एक मस्जिद थी लेकिन समय के साथ वह खंडहर में बदल गई। गांव में चार मुस्लिम परिवार हैं जिन्होंने यहीं रहना तय किया और तब से गांव में हिंदू, मुस्लिम और सिख परिवार सद्भाव से रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि, सभी चाहते थे कि मुस्लिम परिवारों में भी उनकी पूजा की जगह हो, इसलिए यह तय किया गया कि मस्जिद उस जमीन पर फिर से बनाई जाएगी जहां यह पहले मौजूद थी।
पाला सिंह ने आगे कहा कि रविवार को जब मस्जिद का शिलान्यास करने की पूरी तैयारी की गई तो तेज बारिश शुरू हो गई और जमीन दलदली हो गई। जब लोगों को बताया गया कि भारी बारिश के कारण कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ सकता है तो लोग दुखी और निराश हो गए थे।
सभी ग्रामीणों ने फैसला किया कि कार्यक्रम स्थल को पास के श्री सत्संग साहिब गुरुद्वारे में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। गुरु का घर हमेशा सभी समुदायों के लिए खुला रहता है। फिर सब लोगों ने इकट्ठे होकर कुछ ही घंटों के अंदर सब कुछ व्यवस्थित कर दिया।इसके बाद कार्यक्रम आयोजित किया गया और सभी धर्म के ग्रामीणों ने भाग लिया।
मस्जिद निर्माण के लिए सभी गांव वालों ने दिया है चंदा
सरपंच ने कहा कि पिछले 70 सालों में गांव वालों ने कभी किसी को अकेला महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि वे बहुत खुश हैं कि एक मस्जिद हमारा दसवां पूजा स्थल होगा।
मस्जिद निर्माण के लिए ग्रामीणों ने चंदा भी दिया है। 100 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक, हर समुदाय के लोगों ने दिया है ।इसके साथ वक्फ बोर्ड के सदस्यों ने भी योगदान किया है।
गांव के पूर्व सरपंच बोहर सिंह ने गुरुद्वारे में अपने भाषण के दौरान कहा कि उनका पूरा गांव मस्जिद के निर्माण में पूरा सहयोग करेगा। समारोह में शामिल नायब शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने आयोजन स्थल के लिए ग्रामीणों का धन्यवाद किया है।