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पंजाब : कैबिनेट ने मंत्री के दामाद को आबकारी निरीक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

By भाषा | Updated: September 17, 2021 23:18 IST

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चंडीगढ़, 17 सितंबर पंजाब के मंत्रिमंडल ने राज्य मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को अनुकंपा के आधार पर आबकारी एवं कराधान निरीक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय को अवैध करार देते हुए कहा कि इसे रद्द कराने के लिए पार्टी सभी उपलब्ध विकल्पों का प्रयोग करेगी।

राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब लोक सेवा आयोग-नौकरी के बदले नकद घोटाले मामले का खुलासा करने में गुरशेर सिंह के पिता भूपजीत सिंह ने अहम भूमिका निभाते हुए आयोग को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का काम किया।

उसमें कहा गया है कि आबकारी एवं कराधान विभाग में आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर तैनात भूपजीत सिंह का 28 सितंबर 2011 को निधन हो गया था। उस समय गुरशेर सिंह ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी।

बयान के अनुसार, "कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार दिवंगत भूपजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर ने दिनांक 26 जून, 2020 के अपने आवेदन के माध्यम से अपने बेटे गुरशेर सिंह को रोजगार देने का अनुरोध किया था।"

सरकारी नीति दिनांक 21 नवंबर 2002 और संशोधन 28 दिसंबर 2005 के पत्र के अनुसार मृत कर्मचारी/अधिकारी के उत्तराधिकारियों को मृत्यु की तारीख से एक वर्ष के भीतर रोजगार के लिए आवेदन करना होता है।

सरकार की नीति यह भी स्पष्ट करती है कि यदि नौकरी के आवेदन में देरी का कोई वास्तविक कारण है तो कार्मिक विभाग से विशेष अनुमोदन प्राप्त करने के बाद उम्मीदवार के आवेदन पर पांच साल की देरी तक विचार किया जा सकता है।

इसके अलावा विशेष रूप से गुरशेर सिंह की योग्यता बैचलर ऑफ कॉमर्स है जोकि आबकारी और कर निरीक्षक के पद के लिए फायदेमंद है। उम्मीदवार की योग्यता और उनके पिता भूपजीत सिंह द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान किए गए योगदान को देखते हुए, आबकारी एवं कराधान निरीक्षक के पद के लिए आवेदक पर विचार किया गया है और कैबिनेट ने विशेष परिस्थिति में गुरशेर की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान कर दी है।

शिअद के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अपने नेताओं के परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया।

मजीठिया ने कहा कि मंत्रिमंडल के फैसले से पता चलता है कि कांग्रेस सरकार की 'घर-घर रोजगार' योजना राज्य के मंत्रियों और पार्टी विधायकों तथा नेताओं के परिवार के सदस्यों तक ही सीमित है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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