प्रदर्शनकारी किसानों ने खट्टर के किसान महापंचायत कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की

By भाषा | Updated: January 10, 2021 21:30 IST2021-01-10T21:30:03+5:302021-01-10T21:30:03+5:30

Protesting farmers vandalize Khattar's Kisan Mahapanchayat program site | प्रदर्शनकारी किसानों ने खट्टर के किसान महापंचायत कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की

प्रदर्शनकारी किसानों ने खट्टर के किसान महापंचायत कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की

करनाल (हरियाणा), 10 जनवरी हरियाणा के करनाल जिले के कैमला गांव में प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘किसान महापंचायत’ कार्यक्रम स्थल पर रविवार को तोड़फोड़ की जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोगों को संबोधित करते हुए केंद्र के तीन कृषि कानूनों के ‘‘लाभ’’ बताने वाले थे।

हरियाणा पुलिस ने किसानों को कैमला गांव की ओर मार्च करने से रोकने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े।

हालांकि पुलिस द्वारा किये गए सुरक्षा इंतजामों के बावजूद प्रदर्शनकारी किसान कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और उस अस्थायी हेलीपैड को क्षतिग्रस्त कर दिया जहां खट्टर का हेलीकॉप्टर उतरना था। बाद में प्रदर्शनकारी किसानों ने हेलीपैड को अपने नियंत्रण में ले लिया और वहां बैठ गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने हेलीपैड की टाइल भी उखाड़ दी।

किसानों ने मंच को क्षतिग्रस्त करके, कुर्सियां, मेज और गमले तोड़कर ‘किसान महापंचायत’ कार्यक्रम को बाधित किया। इस दौरान पथराव भी किया गया।

नाराज किसानों में मुख्य तौर पर युवा शामिल थे और उन्होंने मंच, टेंट और कार्यक्रम स्थल पर लगाये गए स्पीकर क्षतिग्रस्त कर दिये। इन लोगों ने भाजपा के होर्डिंग फाड़ दिये और पुलिसकर्मियों की मैाजूदगी में बैनर उखाड़ दिये।

भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के बैनर तले किसानों ने पहले किसान महापंचायत का विरोध करने की घोषणा की थी। किसान मांग कर रहे हैं कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।

बाद में शाम को मनोहर लाल खट्टर ने बीकेयू (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चरूनी, कांग्रेस और वामपंथियों पर लोगों को ''भड़काने'' का आरोप लगाया।

मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अपने हेलिकॉप्टर को करनाल में उतारने के निर्देश दिए थे।

कांग्रेस और वामपंथियों को पूरे मामले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की 'अंधेरगर्दी' स्वीकार नहीं की जाएगी।

उन्होंने दावा किया, '' इस आंदोलन में कांग्रेस और वामपंथी शामिल हैं।''

खट्टर ने कहा, '' मैं यह बताना चाहता हूं कि देश में सशक्त लोकतंत्र है और प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है।''

उन्होंने कहा कि इस कृत्य के पीछे जो भी लोग हैं उन्होंने किसान समुदाय को बदनाम किया है क्योंकि ''हमारे किसान ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं।''

भाजपा नेता रमण मलिक ने कहा, ‘‘बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चरूनी के इशारे पर किसानों के हुड़दंगी व्यवहार के कारण कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।’’

पुलिस ने गांव में मुख्यमंत्री के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। इस गांव में खट्टर लोगों को केंद्र के तीन कृषि कानूनों के ‘‘फायदे’’ बताने वाले थे।

पुलिस महानिदेशक (अपराध) मोहम्मद अकिल भी मौके पर मौजूद थे।

इससे पहले काले झंडे लिए हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कैमला गांव की ओर मार्च करने की कोशिश की।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए गांव के प्रवेश बिंदुओं पर बैरीकेड लगाये थे। हालांकि किसानों ने कैमला रोड पर घरौंदा पर लगाये गए बेरिकेड पार कर लिये।

पुलिस ने किसानों को कैमला गांव में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक सड़क पर बालू लदे कई ट्रक भी खड़े किये थे।

करनाल के पुलिस अधीक्षक गंगा राम पूनिया ने भी आंदोलनकारियों को शांत करने का प्रयास किया लेकिन यह भी प्रयास व्यर्थ रहा।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘सभी किसान यहां हैं, मुख्यमंत्री साहेब कृषि कानूनों के बारे में किसे समझाना चाहते हैं। हम सरकार को यह कार्यक्रम नहीं करने देंगे।’’

किसानों ने राज्य की खट्टर नीत सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि वह केंद्र के कृषि कानूनों पर एक कार्यक्रम ऐसे समय में आयोजित कर रही है जब देशभर के किसान इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘सरकार इस किसान महापंचायत कार्यक्रम के जरिये हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।’’

प्रदर्शनकारियों के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर कुछ स्थानीय ग्रामीणों और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनका आमना सामना हुआ। पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारी किसानों को शांत कराने का प्रयास किया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया।

इस घटना पर प्रतिक्रिया जताते हुए विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ टकराव टालना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘नये कृषि कानूनों के बारे में किसानों की कुछ आशंकाएं हैं, सरकार को किसानों की मांग के अनुरूप इन अधिनियमों को रद्द कर देना चाहिए और महापंचायत जैसे कार्यक्रम आयोजन करके उनके साथ टकराव से बचना चाहिए।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा का एक आकस्मिक सत्र बुलाने की अपनी मांग दोहराई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने अपने विधायकों और लोगों का विश्वास खो दिया है। कांग्रेस खट्टर सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है।’’

हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी सैलजा ने कहा कि खट्टर द्वारा बुलाई गई महापंचायत को लोगों का समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने लोगों का भरोसा खो दिया है।’’

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रस्तावित महापंचायत ‘‘सरकार प्रायोजित’’ कार्यक्रम था जिसे प्रदर्शनकारियों द्वारा उसकी ‘‘असली तस्वीर’’ दिखा दी गई।

इस बीच, हरियाणा बीकेयू प्रमुख गुरनाम सिंह चरूनी का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ जिसमें वह मुख्यमंत्री को महापंचायत को संबोधित नहीं करने देकर उनके अहंकार को समाप्त करने की अपील करते दिखे।

उल्लेखनीय है कि छह जनवरी को बीकेयू (चरूनी) ने चेतावनी दी थी कि वे किसान महापंचायत कार्यक्रम का विरोध करेंगे।

कार्यक्रम को संबोधित करने के अलावा, हरियाणा के मुख्यमंत्री करनाल के लिए 47 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की घोषणा करने वाले थे।

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Web Title: Protesting farmers vandalize Khattar's Kisan Mahapanchayat program site

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