केरल में प्रस्तावित 'के-रेल' परियोजना सही तरीके से क्रियान्वित नहीं की जा रही: श्रीधरन
By भाषा | Updated: December 16, 2021 19:59 IST2021-12-16T19:59:38+5:302021-12-16T19:59:38+5:30

केरल में प्रस्तावित 'के-रेल' परियोजना सही तरीके से क्रियान्वित नहीं की जा रही: श्रीधरन
मलप्पपुरम (केरल), 16 दिसंबर ‘मेट्रोमैन’ ई श्रीधरन ने तिरुवनंतपुरम और कासरगोड को जोड़ने वाली प्रस्तावित 'के-रेल' परियोजना की संकल्पना पर तीखा हमला करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इसमें तकनीकी निपुणता की कमी है और इसे ‘‘सही तरीके से क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है।’’
‘मेट्रोमैन’ के नाम से जाने जाने वाले श्रीधरन ने यहां पास के पोन्ननी में एक निजी समारोह में कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ माकपा की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की योजना सही तरीके से नहीं बनायी गई है और इसमें तकनीकी खामी है, इसलिए इससे राज्य का आर्थिक या सामाजिक लाभ नहीं हो सकता।
श्रीधरन ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पलक्कड़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाई स्पीड रेल के प्रस्ताव के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन वर्तमान परियोजना में इसके ट्रैक की चौड़ाई सहित कई सुधारों की आवश्यकता है। यह प्रस्तावित मानक गेज के बजाय एक ब्रॉड गेज होनी चाहिए।’’
श्रीधरन ने कहा कि 300 किलोमीटर से अधिक की रेललाइन प्रस्तावित है जो कृषि क्षेत्रों सहित अन्य भूमि से गुजरनी है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना अवैज्ञानिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘परियोजना को पांच वर्षों में पूरा नहीं किया जा सकता है जैसा कि दावा किया गया है। अनुमानित लागत वास्तविक से बहुत कम है। इसके अलावा, किसी परियोजना की लागत का अनुमान इसकी पूर्णता तिथि के आधार पर लगाया जाना चाहिए। यदि हम एक अनुमान के तौर पर 75,000-80,000 करोड़ रुपये लेते हैं, यह लगभग 10 वर्षों में पूरा होने पर एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगी।’’
श्रीधरन ने राजनीति के विषय पर कहा कि उन्होंने चुनावी हार से एक मूल्यवान सबक सीखा। श्रीधरन ने पिछले अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस नेता शफी परम्बिल से हार गए थे।
परोक्ष तौर पर सक्रिय राजनीति छोड़ने के फैसले की घोषणा करते हुए, श्रीधरन ने कहा कि वह शुरू में चुनाव में अपनी हार से नाखुश थे, लेकिन फिर महसूस किया कि यदि वह जीत भी जाते तो भी एक अकेला विधायक लोगों के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकता था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कभी नेता नहीं था और न ही बनना चाहता हूं। मैं अब 90 वर्ष का हूं और इसलिए राजनीति में नहीं रहना चाहता। मुझे लोगों की सेवा करने के लिए नेता होने की आवश्यकता नहीं है जो मैं तीन ट्रस्टों के माध्यम से कर रहा हूं।’’
श्रीधरन ने कहा कि राज्य में भाजपा को चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपनी नीति बदलने की जरूरत है।
हालांकि, भाजपा प्रदेश प्रमुख के. सुरेंद्रन ने एर्णाकुलम में मीडिया से कहा कि श्रीधरन कभी भी एक सक्रिय नेता नहीं थे, लेकिन पार्टी कई मामलों पर उनकी सलाह लेना जारी रखेगी।
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