RSS विचारक राकेश सिन्हा को दलित प्रदर्शनकारी समझ पकड़ ले गई नोएडा पुलिस, बाद में छोड़ा
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 3, 2018 12:31 AM2018-04-03T00:31:42+5:302018-04-03T00:31:42+5:30
राकेश सिन्हा ने बताया कि उन्हें भी दलित प्रदर्शनकारी समझ कर हिरासत में लिया गया था। सिन्हा ने पुलिसकर्मियों से कहा कि उन्हें मानवाधिकार और व्यक्ति के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए।
नई दिल्ली, 3 अप्रैलः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक प्रोफेसर राकेश सिन्हा को नोएडा पुलिस ने दलित प्रदर्शनकारी समझ हिरासत में ले लिया। उस वक्त वो एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में भाग लेने दफ्तर जा रहे थे। राकेश सिन्हा ने मीडिया को बताया कि वो एक पैनल डिस्कसन के लिए जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्हें पुलिस की एक जीप में डाल दिया गया जहां आठ पुलिसकर्मी थे। इस टीम का नेतृत्व नोएडा के एसएसओ कर रहे थे। राकेश सिन्हा ने जब उनसे हिरासत में लिए जाने का कारण पूछा तो उन्हें जाने के लिए कह दिया गया। यह भी पढ़ेंः 'भारत बंद' LIVE: हिंसा, गिरफ्तारी और राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी, जानें सभी बड़ी अपडेट्स
I was going to take part in a panel discussion at a media house in Noida when I was pulled inside a police jeep. There were 8 policemen lead by SHO Noida who were using abusive language. When I asked them why I was detained, they simply said I was free to go now:Prof Rakesh Sinha pic.twitter.com/sEOdkmcu3b
— ANI (@ANI) April 2, 2018
राकेश सिन्हा ने बताया कि उन्हें भी दलित प्रदर्शनकारी समझ कर हिरासत में लिया गया था। सिन्हा ने पुलिसकर्मियों से कहा कि उन्हें मानवाधिकार और व्यक्ति के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए। दरअसल, सोमवार को कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आवाह्न किया था। दिन चढ़ने के साथ ही इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया जिसमें कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज जोर दिया कि जाति के आधार पर किसी भी प्रकार के अत्याचार को रोकने के लिये बनाये गए कानूनों का कठोरता से पालन होना चाहिए और समाज के हर वर्ग के लोगों को किसी प्रकार के बहकावे में आये बिना परस्पर प्रेम और सौहार्द बनाये रखना चाहिए। आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने अपने बयान में कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के उपयोग पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर हो रही हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है।