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अंतरिम स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में : ट्विटर

By भाषा | Updated: July 3, 2021 20:31 IST

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नयी दिल्ली, तीन जुलाई ट्विटर ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि वह नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक अंतरिम स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति के ‘‘अंतिम चरण’’ में है।

वकील अमित आचार्य की एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में ट्विटर ने कहा है कि भारतीय प्रयोक्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को एक शिकायत निवारण अधिकारी देख रहे हैं। आचार्य ने अपनी याचिका में दावा किया था कि ट्विटर केंद्र के नए आईटी नियमों का पालन नहीं कर रहा है।

ट्विटर ने यह भी कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत वह ‘‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती संस्थान’’ की परिभाषा में आ सकता है। यह नियम सोशल मीडिया मंचों समेत साइबर जगत में विषय वस्तु के प्रसार और प्रकाशन का नियमन करता है और केंद्र सरकार ने फरवरी में इसे अधिसूचित किया था। ट्विटर ने कहा कि नए आईटी नियमों के नियम 3 (2) और नियम 4 (1) (सी) का ‘‘समुचित अनुपालन’’ करते हुए उसने एक अंतरिम स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति की।

ट्विटर ने कहा कि हालांकि, व्यवस्था को पूरी तरह से औपचारिक रूप देने के लिए कदम उठाए जाने से पहले स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी ने 21 जून को अपना नाम वापस ले लिया और इनकार किया कि उसने मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। ट्विटर ने कहा, ‘‘समझौते को पूरी तरह से औपचारिक रूप देने के लिए कदम उठाए जाने से पहले, अंतरिम स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी ने 21 जून को अपना नाम वापस ले लिया। इसलिए, प्रतिवादी (ट्विटर) उनके स्थान पर नियुक्ति के अंतिम चरण में है, जबकि इस बीच शिकायत अधिकारी द्वारा भारतीय उपयोगकर्ताओं की शिकायतों का समाधान किया जा रहा है।’’

ट्विटर ने अपने हलफनामे में कहा है, ‘‘इसके अलावा, प्रतिवादी एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति के अंतिम चरण में है।’’

अधिवक्ता आकाश वाजपेयी और मनीष कुमार के जरिए दाखिल याचिका में आचार्य ने कहा कि उन्हें कथित तौर पर गैर-अनुपालन के बारे में तब पता चला जब उन्होंने कुछ ट्वीट्स के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया।

ट्विटर ने दलील दी है कि अर्जी एक रिट याचिका के रूप में टिकने योग्य नहीं है और आचार्य ने नियमों के तहत अपनी शिकायत के निवारण की प्रतीक्षा किए बिना ‘‘समय से पहले’’ अदालत का रुख किया। आचार्य के पास विचाराधीन ट्वीट के संबंध में शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं था और उन्होंने बताया कि शिकायत पर अब विचार किया गया है और उसका निपटारा कर दिया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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