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प्रियंका गांधी, मायावती ने अयोध्या में कथित जमीन घोटाले में उच्चतम न्यायालय के दखल की मांग की

By भाषा | Updated: December 23, 2021 22:13 IST

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नयी दिल्ली/लखनऊ, 23 दिसंबर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के निकट कथित जमीन खरीद घोटाला मामले में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग उठायी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की जांच के आदेश दिए जाने के एक दिन बाद दोनों नेताओं ने यह मांग की है।

'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट में बुधवार को दावा किया गया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद विधायकों, महापौरों और आयुक्त, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) के रिश्तेदारों ने अयोध्या में जमीन खरीदी।

प्रियंका गांधी ने मंदिर ट्रस्ट के पैसे का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय को इसका स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और शीर्ष अदालत के स्तर पर इसकी जांच होनी चाहिए।

वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने अयोध्या में नेताओं और अफसरों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन औने-पौने दामों में खरीदे जाने के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय से इसमें हस्तक्षेप का आग्रह किया। मायावती ने आरोपों के सही पाए जाने पर राज्य सरकार से भूमि सौदों को रद्द किए जाने की भी मांग की।

राज्य सरकार ने भाजपा नेताओं और सरकारी अधिकारियों के रिश्तेदारों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के पास कथित तौर पर जमीन हड़पने की खबरों की जांच के आदेश दिए हैं।

दिल्ली में प्रियंका ने कहा कि इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की है।

कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राम मंदिर के लिए देश के तकरीबन हर परिवार ने चंदा दिया। लोगों की आस्था को चोट पहुंचाई जा रही है। दलितों की जमीन खरीदी गई है जो कानून के तहत खरीदी नहीं जा सकती। यानी उनकी जमीन हड़पी गई है। जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को बहुत अधिक दाम पर बेची गई। इसका मतलब यह है कि बहुत बड़ा घोटाला हुआ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस मामले की जांच की जा रही है। जांच जिला अधिकारी के स्तर पर हो रही है। राम मंदिर ट्रस्ट का गठन उच्चतम न्यायालय के आदेश पर किया गया है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के स्तर पर इसकी जांच होनी चाहिए।’’

प्रियंका ने कुछ भूखंड के कथित सौदों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया, ‘‘भाजपा के नेता और अधिकारी जमीन की लूट में लगे हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के पैसे का दुरुपयोग भाजपा, आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के नेताओं तथा अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।’’

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भगवान राम मर्यादा और नैतिकता के प्रतीक हैं। वह (भाजपा) भगवान के नाम पर भी भ्रष्टाचार कर रही है। पूरे देश की आस्था को चोट पहुंचा रही है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जांच आदेश महज दिखावा है। प्रियंका ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जाती है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के नाम पर सारी मान-मर्यादा को ताक पर रख कर राम मंदिर के चंदे की ‘‘लूट का खेल’’ खेला जा रहा है पर साफ है कि इसे दरकिनार कर भाजपा नेताओं, उनके मित्रों व राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के नुमाइंदों द्वारा ‘‘चंदे की लूट’’ का यह खेल मोदी-आदित्यनाथ सरकारों की सरपरस्ती में खेला जा रहा है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘2 करोड़ रुपये की ज़मीन को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को 26.50 करोड़ रुपये में बेचा गया, क्या इससे बड़ा ‘‘मंदिर की चंदा चोरी’’ का कोई सबूत हो सकता है!’’

एक सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा कि इस मामले में कानूनी कदम उठाने पर भी विचार होगा, लेकिन प्रियंका गांधी पहले ही जनता की अदालत में यह लड़ाई लड़ रही हैं।

इस मामले पर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने 'पीटीआई-भाषा' से बुधवार को कहा था, ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग को मामले की गहनता से जांच करने का आदेश दिया है।’’

प्रियंका गांधी के आरोपों के संबंध में ट्रस्ट की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है।

इस बीच, अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के निकट की जमीनें कथित रूप से भाजपा के विधायकों, महापौरों और प्रशासन के आला अधिकारियों द्वारा औने-पौने दाम में खरीदे जाने संबंधी सवाल पर मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''यह मामला गंभीर है और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। हमारी पार्टी चाहेगी कि उच्चतम न्यायालय इसमें दखल दे।''

उन्होंने कहा कि अगर जमीन की खरीद-फरोख्त में कुछ गड़बड़ हुई है तो राज्य सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करके राज्य सरकार को निर्देश देना चाहिए कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो जमीन की खरीद-फरोख्त को रद्द किया जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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