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प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में महाकाली मंदिर के ऊपर बनी दरगाह के हटने के बाद फहराई भव्य ध्वज पताका

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 18, 2022 21:23 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं शताब्दी में बने गुजरात के पंचमहाल स्थित प्राचीन काली मंदिर के शिखर पर पताका फहराया। इस मंदिर को लगभग 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था, जिसे पुनर्विकास योजना के तहत पुन: स्थापित कर दिया गया है।

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पंचमहाल स्थित प्रसिद्ध महाकाली मंदिर में फहराई ध्वज पताकाइस मंदिर को मुस्लिम शासक महमूद बेगड़ा ने लगभग 500 साल पहले नष्ट कर दिया थामंदिर ध्वस्तीकरण के बाद इस्लामिक शासकों ने मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी थी

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पंचमहाल स्थित प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित किए जाने के बाद शनिवार को मंदिर के शिखर पर भव्य पताका फहराई।

ध्वजा फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि महाकाली मंदिर पर फहराई गई यह ध्वज पताका न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह सदियों से मजबूत हमारी धार्मिक का भी प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में महाकाली मंदिर पर पांच सदियों तक और यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान कभी पताका नहीं फहराई गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ध्वज पताका महाकाली मंदिर के पुनर्रुद्धार के मौके पर फहराया। यह प्राचीन काली मंदिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान का हिस्सा है, जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भी शामिल है। बताया जा रहा है कि हर साल यहां लाखों श्रद्धालु मां काली के मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के प्राचीन शिखर को लगभग 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था, जिसे पुनर्विकास योजना के तहत पुन: स्थापित कर दिया गया है।

इस मामले में मंदिर के एक पदाधिकारी ने बताया कि मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर किए गए हमले के दौरान ध्वस्त कर दिया था। इस ध्वस्तीकरण के कुछ समय बाद इस्लामिक शासकों द्वारा मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी।

मंदिर के पदाधिकारी ने कहा, ‘‘पताका फहराने के लिए खंभे या शिखर की जरूरत होती है। चूंकि, काली मंदिर में शिखर नहीं था, इसलिए कई सदियों तक मंदिर पताका विहीन रही। जब कुछ साल पहले मंदिर का पुनर्विकास कार्य शुरू हुआ तो हमने दरगाह की देखरेख करने वालों से अनुरोध किया कि वे दरगाह को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने दें, ताकि मंदिर के शिखर का दोबारा बनाया जा सके।’’

इसके साथ उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम पक्ष ने हमारे अनुराध को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से मानते हुए दरगाह को मंदिर के करीब स्थानांतरित करने पर समझौता कर लिया।’’

मालूम हो कि गुजरात सरकार ने लगभग 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है। नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और यह 30,000 वर्ग फीट दायरे में फैला हुआ है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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