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प्रधानमंत्री ने फोन कर दलाई लामा को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं

By भाषा | Updated: July 6, 2021 23:37 IST

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नयी दिल्ली/धर्मशाला, छह जुलाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को मंगलवार को फोन कर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी और उनकी दीर्घायु की कामना की। इसे कुछ लोग पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध के कारण भारत और चीन के संबंधों में पैदा हुए तनाव के मद्देनजर पड़ोसी देश को दिए गए एक गूढ़ संदेश के रूप में देख रहे हैं।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘86वें जन्मदिन पर मैंने दलाई लामा से फोन पर बात की और उन्हें शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।’’

दलाई लामा का जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में आमदो के एक छोटे से गांव तकछेर में एक कृषक परिवार में हुआ था। उन्हें 1989 में शांति का नोबेल सम्मान मिला था।

प्रधानमंत्री मोदी के अलावा नितिन गडकरी, हरदीप सिंह पुरी और धर्मेंद्र प्रधान समेत कई केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश), अरविंद केजरीवाल (दिल्ली) और प्रेम सिंह तमांग (सिक्किम) सहित कई नेताओं ने भी ट्वीट कर तिब्बती आध्यात्मिक नेता को बधाई दी।

मुख्यमंत्रियों प्रमोद सावंत (गोवा), कोनराड संगमा (मेघालय), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) और अमरिंदर सिंह (पंजाब) ने भी दलाई लामा को शुभकामनाएं दीं। असम और मेघालय जैसे राज्यों के कई मंत्रियों ने भी उन्हें जन्मदिन की बधाई दी।

इनके अलावा ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन और भारत में अमेरिका के 'चार्ज डि अफेयर' (अंतरिम राजदूत) अतुल केशप सहित अन्य लोगों ने दलाई लामा को बधाई दी।

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने मंगलवार को अपने 86वें जन्मदिन पर कहा कि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का पूरा लाभ लिया और वह प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

दलाई लामा ने धर्मशाला में अपने आवास से डिजिटल माध्यम के जरिए लोगों को संबोधित किया और उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वाले दुनियाभर के लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि वह मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।

इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री द्वारा दलाई लामा को फोन किए जाने का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि यदि प्रधानमंत्री दलाई लामा से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करते, तो चीन को एक कड़ा संदेश जाता।

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने कहा, ‘‘बहुत बढ़िया, श्रीमान! लेकिन यदि आप दलाई लामा से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करते, तो इससे चीन को कड़ा संदेश जाता।’’

भारतीय नेताओं ने पिछले साल दलाई लामा के जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं दिया था। उस समय भारत और चीन के बीच संबंध पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के दौरान गलवान घाटी में 15 जून को घातक झड़प के बाद बहुत तनावपूर्ण हो गए थे। तनाव बढ़ने के बाद, सामरिक मामलों से जुड़े एक वर्ग का मानना था कि भारत को चीन पर कूटनीतिक रूप से दबाव बनाने के लिए 'तिब्बत कार्ड' खेलना चाहिए।

तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा सेरिंग ने दलाई लामा के जन्मदिन पर कहा कि चीन को यह मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिये दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति हैं और उन्हें ''बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बत और चीन की तीर्थयात्रा'' पर आमंत्रित किया जाना चाहिए।

दलाई लामा ने अपने जन्मदिन पर कहा, ‘‘जब से मैं शरणार्थी बना और भारत में शरण ली, तब से मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का भरपूर लाभ लिया। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं अपने शेष जीवन में भी प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।’’ दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है।

दलाई लामा ने कहा, ‘‘मैं ईमानदारी, करुणा और अहिंसा जैसे उन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की भारतीय अवधारणा की वाकई सराहना करता हूं, जो धर्म पर निर्भर नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे जन्मदिन पर मैं अपने उन सभी मित्रों का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मेरे प्रति वाकई में प्यार, सम्मान और विश्वास दिखाया...। मैं आपको भरोसा दे सकता हूं कि मैं मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन की रक्षा के लिए काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हूं।’’

दलाई लामा ने लोगों से अहिंसा का पालन करने और एक दूसरे के प्रति करुणा का भाव रखने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी मृत्यु तक अहिंसा और करुणा के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा। यह मेरी ओर से मेरे मित्रों को भेंट है। मेरे सभी भाइयों और बहनों को इन दो बातों को ध्यान में रखना चाहिए - अहिंसा और करुणा... मेरे जन्मदिन पर, यही मेरा उपहार है।’’

चौदहवें दलाई लामा ने 1959 में चीन से स्वनिर्वासन के बाद भारत को अपना घर बना लिया था। चीन सरकार के अधिकारी और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि के बीच 2010 के बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। बीजिंग ने अतीत में दलाई लामा पर "अलगाववादी" गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था, लेकिन तिब्बती आध्यात्मिक नेता का कहना है कि वह स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे, बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत "तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता" चाहते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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