राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गलवान के ‘बहादुरों’ को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया

By भाषा | Updated: November 23, 2021 22:36 IST2021-11-23T22:36:24+5:302021-11-23T22:36:24+5:30

President Ram Nath Kovind confers gallantry awards to the 'brave' of Galvan | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गलवान के ‘बहादुरों’ को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गलवान के ‘बहादुरों’ को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया

नयी दिल्ली, 23 नवंबर पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के हमले के खिलाफ भारतीय सैनिकों का नेतृत्व करने वाले 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सम्मानित किया।

चार अन्य सैनिकों, नायब सूबेदार नुदुरम सोरेन, हवलदार (गुन्नेर) के पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीनी सैनिकों से लड़ते हुए इन बहादुर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में संतोष बाबू की पत्नी बी संतोषी और मां मंजुला ने पुरस्कार ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र युद्धकाल का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

तीसरी मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह गलवान घाटी में हुई झड़प में भारतीय थल सेना की टीम का हिस्सा थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। वीर चक्र युद्धकाल के लिए देश का तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। नायब सोरेन की पत्नी लक्ष्मी मणि सोरेन, हवलदार पलानी की पत्नी वनथी देवी और नायक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण किया। सिपाही गुरतेज सिंह की मां प्रकाश कौर और पिता विरसा सिंह ने राष्ट्रपति से वीर चक्र ग्रहण किया।

राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को राष्ट्रपति ने दो अलग-अलग समारोह में एक महावीर चक्र (मरणोपरांत), छह कीर्ति चक्र (पांच मरणोपरांत), 10 वीर चक्र (आठ मरणोपरांत) और 15 शौर्य चक्र (नौ मरणोपरांत) प्रदान किए।

मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किए जाने वालों में पैराशूट रेजिमेंट के सूबेदार संजीव कुमार, जम्मू कश्मीर पुलिस के अब्दुल राशिद कलास, पिंटू कुमार सिंह और श्याम नारायण सिंह यादव और विनोद कुमार (तीनों सीआरपीएफ के) शामिल हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर को भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में लोगों से उन लोगों के बारे में अधिक पढ़ने का आग्रह किया जिन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज रक्षा अलंकरण समारोह में शामिल हुआ। मैं अपने साथी नागरिकों से उन लोगों के बारे में अधिक पढ़ने का आग्रह करता हूं जिन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी वीरता आप सभी को प्रेरणा देगी। ये उत्कृष्ट व्यक्ति हैं जिन्होंने हर चीज से पहले कर्तव्य रखा है। भारत को उन पर गर्व है।’’

सरकार ने इस साल की शुरुआत में गलवान के बहादुरों के लिए वीरता पुरस्कारों की घोषणा की थी। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गये थे। यह घटना दशकों में दोनों देशों के बीच हुए सबसे गंभीर सैन्य टकराव बन गई।

फरवरी में, चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि भारतीय थल सेना के साथ झड़प में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे। हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि चीन की ओर से मरने वालों की संख्या इससे अधिक थी।

प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि कर्नल बाबू ने दुश्मन का सामना करने के दौरान अनुकरणीय नेतृत्व, दक्ष पेशेवरता और विशिष्ट बहादुरी का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। कर्नल बाबू ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद प्रतिकूल परिस्थितियां होते हुए भी पूरी शिद्दत से भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया।

उन्होंने ‘ऑपरेशन स्नॉ लेपर्ड’ के दौरान अपनी अंतिम सांस तक दुश्मन के हमले का मुकाबला किया और मैदान में डटे रहने के लिए अपने सैनिकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया।

भारतीय थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में पोस्ट 120 पर 'गैलेंट्स ऑफ गलवान' के लिए एक स्मारक बनाया है।

आधिकारिक विवरण के मुताबिक, 16वीं बिहार रेजीमेंट में शामिल नायब सूबेदार सोरेन ने अपनी टुकड़ी की अगुवाई करते हुए भारतीय सेना को पीछे धकेलने की दुश्मन की कोशिश का प्रतिकार किया और निगरानी चौकी की स्थापना की।उन्होंने अपनी टुकड़ी को संगठित किया, दुश्मन का जोरदार मुकाबला किया और भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने के उनकी कोशिश को नाकाम किया।

सोरेन ने घायल होने के बावजूद अंतिम सांस तक दृढ़ भावना के साथ लड़ते हुए, जबर्दस्त साहस का प्रदर्शन किया। हवलदार पलानी बहादुरी से डटे रहे और दुश्मन के उनपर धारदार हथियार से हमला करने के बावजूद उन्होंने अपने साथियों का बचाव करने की कोशिश की।

उनकी वीरता ने अन्य साथी सैनिकों को डटकर लड़ने और दुश्मन के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया। आधिकारिक विवरण के मुताबिक, गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह मैदान में मजबूती से डटे रहे और मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये।

नायक दीपक सिंह का ताल्लुक भी 16वीं बिहार रेजिमेंट से था और वह एक नर्सिंग सहायक के रूप में कर्तव्यों का पालन कर रहे थे। उन्होंने 30 से अधिक भारतीय सैनिकों का उपचार किया और उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पंजाब रेजिमेंट की तीसरी बटालियन के सिपाही गुरतेज सिंह ने निगरानी चौकी की स्थापना करते हुए दुश्मन सैनिकों का मुकाबला किया।

झड़प के आधिकारिक विवरण के मुताबिक, गुरतेज सिंह ने साहस और युद्ध के विशिष्ट कौशल का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन सैनिकों का मुकाबला किया और गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी लड़ते रहे।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सशस्त्र बलों के कई अन्य कर्मियों को भी सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय राइफल्स की 21वीं बटालियन के मेजर अनूज सूद को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: President Ram Nath Kovind confers gallantry awards to the 'brave' of Galvan

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे