अंबाला पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राफेल लड़ाकू विमान में भरेंगी उड़ान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 29, 2025 10:55 IST2025-10-29T10:53:19+5:302025-10-29T10:55:18+5:30
Droupadi Murmu: पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने क्रमशः 8 जून, 2006 और 25 नवंबर, 2009 को पुणे के पास लोहेगांव वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी।

अंबाला पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राफेल लड़ाकू विमान में भरेंगी उड़ान
Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार सुबह हरियाणा के अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन पहुंचीं, जहां से वह राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरेंगी। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह समेत कई अधिकारी इस मौके पर मौजूद रहेंगे। राष्ट्रपति भवन की ओर से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया था, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कल हरियाणा के अंबाला जाएंगी, जहां वह राफेल विमान में उड़ान भरेंगी।”
VIDEO | Air Force Base, Ambala: President Droupadi Murmu to take a sortie in Rafale fighter jet shortly.@rashtrapatibhvn@IAF_MCC
— Press Trust of India (@PTI_News) October 29, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/bawVrpgWu3
सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर मुर्मू ने 8 अप्रैल, 2023 को असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी और वह ऐसा करने वाली तीसरी राष्ट्रपति बन गई थीं। पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने क्रमशः 8 जून, 2006 और 25 नवंबर, 2009 को पुणे के पास लोहेगांव वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी।
फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान को सितंबर 2020 में अंबाला वायुसेना स्टेशन पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। पहले पांच राफेल विमानों को 17वीं स्क्वाड्रन 'गोल्डन एरोज' में शामिल किया गया था।
ये विमान 27 जुलाई, 2020 को फ्रांस से यहां पहुंचे थे। पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाकों में आतंकी ढांचों को नष्ट करने के लिए सात मई को शुरू किए गए‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों का इस्तेमाल किया गया था। इन हमलों के बाद चार दिन तक भीषण सैन्य झड़प हुईं, जो सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के बाद 10 मई को समाप्त हुईं।