लाइव न्यूज़ :

राष्ट्रपति ने राज्यपालों से सरकार के लिए ‘मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक’ की तरह काम करने को कहा

By भाषा | Updated: November 12, 2021 00:03 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 11 नवंबर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यपालों को सरकार के लिए ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ की तरह काम करना चाहिए। वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के संवैधानिक मूल्यों और अखंडता की रक्षा में राज्यपालों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

राज्यपालों और उपराज्यपालों के एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें यह याद रखने के लिए कहा कि वे राज्य के लोगों के कल्याण और सेवा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। कोविंद ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप सभी राज्यपाल याद रखें कि आप अपने राज्यों के लोगों के कल्याण और सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

राष्ट्रपति ने सम्मेलन में कहा कि इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि आप अपने राज्य को अधिक से अधिक समय दें और लोगों के साथ जीवंत संबंध बनाएं।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों, उपराज्यपालों और प्रशासकों के 51 वें सम्मेलन की शुरुआत करते हुए राज्यपालों से अपनी नियुक्ति वाले राज्यों में ‘‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’’ की तरह काम करने का आह्वान किया। सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की।

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति के विचारों से उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने सहमति जताई, जिन्होंने अपने भाषणों में संवैधानिक मूल्यों और देश की अखंडता की रक्षा में राज्यपालों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।’’

उपराष्ट्रपति नायडू ने राज्यपालों से केंद्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि लोगों के कल्याण के लिए इच्छित धन सही उद्देश्य के लिए खर्च किया जाए। उन्होंने राज्यपालों को उच्च मानकों को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को उठाने में लोगों का विश्वास जीतने की याद दिलाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राज्यपाल केंद्र और राज्य के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्यालय जीवंत और सक्रिय होना चाहिए और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए।

मोदी ने राज्यपालों से राज्य के दूर-दराज के गांवों की यात्रा करने और लोगों की समस्याओं के बारे में जानने तथा पड़ोसी राज्यपालों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने का आग्रह किया।

बयान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले राज्यों या तटीय राज्यों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से सीमाओं या समुद्री तट के पास के गांवों की यात्रा करने और लोगों के साथ समय बिताने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से अपने राज्यों में काम कर रहे केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ नियमित बातचीत करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विशेष रूप से ‘नमो ऐप’ का जिक्र किया जो देश भर के विकास के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करने के लिए हर सुबह सकारात्मक समाचार देता है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान नोटों को छापने और इसे खैरात के रूप में वितरित करने के मार्ग का अनुसरण नहीं करने के लिए उन्हें अर्थशास्त्रियों की आलोचना का सामना करना पड़ा था।

राज्यपालों से अपने ‘मन की बात’ रेडियो संबोधन के लिए राज्य भर में यात्रा करने के बाद अपने अनुभव साझा करने के लिए कहते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज्यपाल की संस्था राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने उनसे संविधान की भावना के खिलाफ जाने के किसी भी प्रयास के प्रति सतर्क रहने को कहा।

इस सम्मेलन में सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने राज्यों में हुई प्रगति के बारे में बताया। पांच राज्यों - गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने अपने सर्वोत्तम शासन प्रथाओं पर अलग-अलग प्रस्तुतियां दीं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कोविड-19 महामारी से निपटने में प्रधानमंत्री मोदी के प्रभावी नेतृत्व का उल्लेख किया और कहा कि भारत ने 100 करोड़ टीकाकरण का महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल कर लिया है और यह अभियान अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है।

शाह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय मूल्यों के साथ शिक्षा की परिकल्पना की गई है और इसे लागू करने में राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

राज्यपालों का पहला सम्मेलन 1949 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता भारत के अंतिम गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतLokmat National Conclave 2025: वर्तमान में भारतीय लोकतंत्र के स्तंभ और ताकत पर बोले कांग्रेस नेता सिंघवी, कही ये बात

भारतBihar: नीतीश कुमार के हिजाब विवाद को लेकर मिली पाकिस्तान से धमकी, महिला डॉक्टर नुसरत परवीन ने छोड़ दिया बिहार

मध्य प्रदेशकचरे से कंचन की राह पर इंदौर, वेस्ट मैनेजमेंट में नए नवाचारों से शहर बना सर्कुलर इकॉनमी का मॉडल

भारतLokmat National Conclave 2025: चुनावों के दौरान मुफ्त की स्कीम देने पर मनोज झा ने दी प्रतिक्रिया, बोले- "चुनाव अब निष्पक्ष चुनाव जैसा नहीं रहा"

भारतLokmat National Conclave 2025: बिहार चुनाव पर मनोज झा की दो टूक, फ्री स्कीम से बिगड़ रहा चुनावी संतुलन

भारत अधिक खबरें

भारतBJP ने तेजस्वी यादव पर कसा तंज, जारी किया पोस्टर; लिखा- "तेजस्वी यादव ‘लापता’, ‘पहचान: 9वीं फेल"

भारतभवानीपुर विधानसभा क्षेत्रः 45,000 मतदाताओं के नाम काटे?, सीएम ममता बनर्जी लड़ती हैं चुनाव, घर-घर जाएगी TMC

भारत3 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की मसौदा मतदाता सूची में 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम, 27 अक्टूबर को 13.36 करोड़ लोग थे शामिल, 1 करोड़ से अधिक बाहर

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतDelhi: 18 दिसंबर से दिल्ली में इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल और डीजल, जानिए वजह