लाइव न्यूज़ :

राजस्थान में बीमार व वृद्ध कैदियों की होगी समय पूर्व रिहाई

By भाषा | Updated: December 21, 2021 23:52 IST

Open in App

जयपुर, 21 दिसंबर राजस्थान के विभिन्न जेलों में बंद विशेष श्रेणी के बीमार व वृद्ध कैदियों की समय पूर्व रिहाई होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

सरकारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने राज्य की जेलों में लम्बे समय से सजा भुगत रहे ऐसे बंदियों, जिन्होंने सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा भुगत ली है अथवा गंभीर बीमारियों से ग्रसित एवं वृद्ध हैं, उन्हें समय से पहले रिहा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

प्रस्ताव के अनुसार, आजीवन कारावास से भिन्न अवधि के कारावास की सजा से दण्डित वृद्ध एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित ऐसे कैदियों को समय पूर्व रिहा किया जा सकेगा जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित हैं अथवा दृष्टिहीन या विकलांग हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।

उसके अनुसार, ऐसे वृद्ध पुरुष, जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें समय पूर्व रिहाई मिल सकेगी।

प्रस्ताव के तहत आजीवन कारावास भुगत रहे ऐसे बंदी जिन्होंने 14 वर्ष की सजा भुगत ली है एवं ढाई वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है। साथ ही, विगत दो वर्षों में जेल में उनका आचरण संतोषप्रद रहा है और किसी जेल दण्ड से दण्डित नहीं किया गया है। ऐसे बंदियों को भी रिहा किया जा सकेगा। इसके अलावा आजीवन कारावास से भिन्न अवधि की सजा भुगत रहे ऐसे बंदी जिनकी सजा का दो तिहाई भाग पूरा हो गया है और विगत दो वर्ष से आचरण संतोषप्रद रहा है, उन्हें भी समय पूर्व रिहा किया जा सकेगा।

ऐसे बंदी जिन्हें न्यायालयों से तीन माह या इससे कम अवधि की सजा से दण्डित किया गया है, उन्हें भी रिहा किया जा सकेगा।

हालांकि जिन श्रेणी के कैदियों को इस फैसले से राहत नहीं मिलेगी उनमें दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम-1946 या दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 से भिन्न किसी केन्द्रीय अधिनियम के तहत सजायाफ्ता बंदी, आदतन अपराधी, साधारण कारावास से दण्डित, जमानत नहीं देने या जुर्माने का भुगतान नहीं करने के कारण कारावास भुगत रहे बंदी, बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गौवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधी शामिल हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतअजित पवार के साथ नहीं करेंगे गठजोड़, सचिन अहीर ने कहा-हम गठबंधन तोड़ देंगे

क्राइम अलर्ट‘ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर’ अनुराग द्विवेदी के उन्नाव-लखनऊ में ठिकानों समेत 09 जगहों पर छापे, 4 लग्जरी कार जब्त, हवाला के जरिए दुबई में रियल एस्टेट में निवेश

स्वास्थ्यबचके रहना रे बाबा?, पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में वायु प्रदूषकों का जमाव ज्यादा, 5 वर्षों में किए गए अध्ययन में खुलासा

बॉलीवुड चुस्की20-24 परिसरों पर छापेमारी, शिल्पा शेट्टी से जुड़ी कंपनी पर शिकंजा, जानिए कहानी

क्राइम अलर्टठाणे शहरः बैंक्वेट हॉल में आग, 1000 से 1200 मेहमान को सुरक्षित निकाला, वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतहिन्दू नहीं मुस्लिम थे भगवान राम?, टीएमसी विधायक मदन मित्रा के बिगड़े बोल, वीडियो

भारतVB-G RAM G Bill: 'जी राम जी' विधेयक पारित होने पर विपक्ष का विरोध, रात भर संसद के बाहर दिया धरना

भारतBihar: घने कोहरे और शीतलहर का असर, बिहार में स्कूलों का समय बदला; जानें नई टाइमिंग

भारतब्रिटिश साम्राज्य के विनाश के लिए गले लगाई शहादत

भारतPAN-Aadhaar Link: अभी तक नहीं कराया पैन-आधार लिंक, तो ब्लॉक हो जाएगा पैन कार्ड, लगेगा 1000 रुपये का जुर्माना